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Trout Fishing In Himachal: प्रदेश में इस साल 120 ट्राउट इकाइयों के निर्माण का लक्ष्य, दो ट्राउट हैचरी भी बनेंगी

हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन की क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार आवश्यक कदम उठा रही है. इसके लिए सरकार मत्स्य पालन में नवीनतम तकनीकों का समोवश कर राज्य में ‘नीली क्रांति’ लाने की दिशा में काम कर रही है. पढ़ें पूरी खबर... (Trout Fish In Himachal) (Blue Revolution in Himachal)

Trout Fish In Himachal
हिमाचल में नीली क्रांति का हो रहा आगाज

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Published : Jul 16, 2023, 6:01 PM IST

शिमला:प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सृदृढ़ीकरण के लिए मत्स्य पालन को प्रोत्साहन दे रही है. हिमाचल समृद्ध नदियां और अपार जल संपदा से संपन्न हैं. हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन क्षेत्र में अपार संभावनाएं है. जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार, मत्स्य पालन में नवीनतम तकनीकों का समोवश कर राज्य में ‘नीली क्रांति’ लाने की दिशा में प्रयास कर रही है. सरकार का उद्देश्य मत्स्य पालन को व्यावसायिक स्तर पर बढ़ावा प्रदान करना है. ताकि ग्रामीण आर्थिकी को सहायता प्रदान किया जा सके. मुख्य रूप से प्रदेश के गोविंद सागर, पौंग, चमेरा, रणजीत सागर और कोलडैम क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

ट्राउट मछली उत्पादन की बेहतर संभावना: दरअसल, हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्राउट मछली उत्पादन की अच्छी सम्भावनाएं हैं. प्रदेश में ट्राउट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस वित्त वर्ष 120 ट्राउट इकाइयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 106 ट्राउट इकाइयों के निर्माण के लिए कुल ₹202.838 लाख रुपये की राशि विभिन्न मंडलों को प्रदान की जा चुकी है. इस योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए जिला और मंडल स्तर पर लाभार्थियों के चयन और सब्सिडी राशि प्रदान करने की प्रक्रिया प्रगति पर है.

दो ट्राउट हैचरी के लिए ₹60 लाख जारी:प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयां प्रदान करने के लिए प्रदेश में दो ट्राउट हैचरी निर्मित करने के लिए ₹60 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जा चुकी है. मछली पालन की आधुनिकतम तकनीकों में से एक बायोफ्लॉक को भी प्रदेश में बढ़ावा दिया जा रहा है. पर्यावरणीय अनुकूल यह तकनीक प्रदेश में ‘नीली क्रांति’ का मार्ग प्रशस्त करेगी. मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रदेश में पांच लघु बायोफ्लॉक इकाइयां निर्मित की जाएंगी. इसके लिए विभिन्न मंडलों को ₹19.50 लाख रुपये की राशि प्रदान की जा चुकी है. इसके अतिरिक्त प्रदेश में तीन मत्स्य आहार संयंत्र स्थापित करने के लिए ₹42 लाख रुपये की राशि विभिन्न मंडलों को प्रदान की जा चुकी है.

600 मत्स्य पालकों को मिलेगा प्रशिक्षण:बता दें, मत्स्य पालकों और उद्यमियों को प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है. इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए जिला ऊना के कार्प फार्म गगरेट में 5 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा. इसमें प्रदेश के 600 मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा. वही, प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में इस क्षेत्र की आवश्यक अधोसंरचना तैयार करने के लिए सरकार प्रयासरत है. मछलियों को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिए प्रदेश में 48 लाख रुपये की लागत से एक बर्फ के कारखाने का भी निर्माण किया जाएगा.

500 युवाओं को स्वरोजगार का लक्ष्य:प्रदेश सरकार मत्स्य पालन के माध्यम से रोजगार और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए दृढ़ संकल्पित है. युवाओं को मत्स्य पालन गतिविधियों से जोड़ने के लिए प्रदेश में अनेक योजनाएं लागू की गई हैं. प्रदेश सरकार के प्रथम बजट में ही वर्ष 2023-24 में 500 युवाओं को मत्स्य पालन क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मई, 2023 तक विभाग द्वारा प्रदेश के 247 व्यक्तियों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा चुके हैं.

प्रदेश में लगातार बढ़ रहा है मत्स्य उत्पादन:प्रदेश में मछली उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 16015.81 मीट्रिक टन और वर्ष 2022-23 में 17026.09 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया गया. गोविंद सागर जलाशय में वर्ष 2022-23 में 182.85 मीट्रिक टन और पौंग बांध में 313.65 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया गया. मत्स्य पालन क्षेत्र किसानों की आय का एक अतिरिक्त स्त्रोत बनकर उनकी आर्थिकी सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो रहा है. यह क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आजीविका कमाने का जरिया भी बना है.

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