शिमला:हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस सत्ता में आई थी. चुनाव पूर्व कांग्रेस ने दस गारंटियां दी थी. उनमें सबसे बड़ी गारंटी ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की थी. पार्टी की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी वादा किया था कि सत्ता में आते ही ओपीएस बहाल की जाएगी. चुनाव में विजय पताका फहराने के बाद हाईकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश की सत्ता की कमान सौंपी. मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम बनाए गए. पहली ही कैबिनेट में कांग्रेस सरकार ने ओपीएस की बहाली का ऐलान किया. हिमाचल में सरकारी कर्मचारी सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाते हैं.
चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम एक बड़ा मुद्दा था. भाजपा ने इस विषय पर कोई बड़ा वादा नहीं किया था. भाजपा सरकार ने एनपीएस में सरकार का शेयर तो बढ़ाया, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली सरकार के एजेंडे में नहीं थी. चुनाव में कर्मचारियों ने खुलकर कांग्रेस का समर्थन किया और इसका फल उन्हें ओपीएस की बहाली के रूप में मिला. पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाली का ऐलान करने के बाद मई 2023 में इसकी एसओपी जारी कर दी गई. चार मई को ये एसओपी जारी की गई थी.
अब ओपीएस के तहत आने वाले कर्मचारी रिटायर होने के बाद इसका लाभ ले रहे हैं. हालांकि अभी न के बराबर कर्मचारी रिटायर हुए हैं. कुल मिलाकर 1.36 लाख कर्मचारियों को ये लाभ मिलेगा. हालांकि इसमें राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी नहीं आए हैं. उनकी नाराजगी सरकार को झेलनी पड़ी रही है, लेकिन सुखविंदर सिंह सरकार ने ये गारंटी पूरी कर राज्य की कर्मचारी केंद्रित राजनीति में अपने नाम एक अध्याय लिखवा लिया है.