शिमला: हिमाचल प्रदेश के खाली खजाने को भरने के लिए सुखविंदर सिंह सरकार ने लीक से हटकर काम करना शुरू कर दिया है. ओपीएस व अन्य गारंटियों से खजाने पर पड़ने वाले बोझ को लेकर सुखविंदर सिंह सरकार ने एक साहसिक फैसला लिया है. राज्य के पानी से तैयार जलविदयुत परियोजनाओं के जरिए कांग्रेस सरकार ने सालाना एक हजार करोड़ रुपये कमाने का इंतजाम किया है. ये पैसा राज्य में चल रही जलविद्युत परियोजनाओं में वॉटर सेस लगाकर जुटाया जाएगा.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की हरी झंडी मिलने के बाद जल शक्ति विभाग ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है. हिमाचल में कई जलविद्युत परियोजनाएं चल रही हैं. इन परियोजनाओं में हिमाचल की नदियों का पानी प्रयोग हो रहा है. ऐसे में परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाने का राज्य सरकार को हक है. हालांकि सरकार के इस फैसले से जलविद्युत परियोजनाओं के प्रबंधक असहज महसूस कर रहे हैं.
पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की सरकार ने भी ऐसा फैसला किया था और मामला अदालत तक पहुंचा था. क्या ऐसा ही कुछ हिमाचल में भी होगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन सुखविंदर सिंह सरकार ने राजस्व जुटाने के लिए ये साहसिक फैसला ले लिया है. उल्लेखनीय है कि सीएम सुखविंदर सिंह कई मर्तबा ये कह चुके हैं कि राज्य में कुछ सख्त फैसले लिए जा सकते हैं. ये उन फैसलों की कड़ी में पहला और बड़ा फैसला है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले में अधिकारियों के साथ काफी चर्चा की और उसके बाद ही आर्डिनेंस लाया गया है. सरकार की तरफ से आर्डिनेंस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल शक्ति विभाग ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. यहां सवाल पैदा हो सकता है कि जब ये मामला उर्जा विभाग से संबंधित है तो अधिसूचना जल शक्ति विभाग ने क्यों जारी की है. दरअसल, किसी भी राज्य की जल संपदा और जल संसाधनों का स्वामित्व जल शक्ति विभाग के पास होता है. यही कारण है कि जल शक्ति विभाग सारी प्रक्रिया पूरी कर रहा है. बजट सत्र में इस बारे में विस्तार से प्रक्रिया सामने आएगी. चूंकि सरकार ने आर्डिनेंस का फैसला लिया और उसके बाद जलशक्ति विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है तो बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक पेश होगा.
कैसे होगी कमाई, क्या होगा प्रावधान: प्रदेश में चल रही जलविद्युत परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाया जाएगा. जिन परियोजनाओं का प्रोजेक्ट हेड 30 मीटर तक होगा, उन पर 10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से सेस लगेगा. जिन परियोजनाओं का हेड 60 से 90 मीटर होगा, उन पर 35 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर पानी के हिसाब से रकम देय होगी. इसके अलावा बड़ी परियोजनाओं में जिनका हेड 90 मीटर से ज्यादा है, उन पर 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस लगाया जाएगा.
हिमाचल को मिलता है बिजली परियोजनाओं में हिस्सा: हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मैगावाट से अधिक जलविद्युत दोहन की क्षमता है. इस समय राज्य में 10600 मैगावाट क्षमता का दोहन किया गया है. राज्य में प्राइवेट उर्जा उत्पादकों से सरकार 12 फीसदी रायल्टी लेती है. हिमाचल में सतलुज जलविद्युत परियोजना से राज्य सरकार को लाभांश के रूप में सालाना करीब 300 करोड़ रुपये मिलते हैं. हिमाचल सरकार का इस परियोजना में 25.51 फीसदी शेयर है. हिमाचल उर्जा सरप्लस राज्य है. यहां बैंकिंग के आधार पर दूसरे राज्यों को भी बिजली दी जाती है. अब परियोजनाओं पर वॉटर सेस लगाकर राज्य सरकार कमाई का एक और जरिया जोड़ेगी. वाटर सेस का जो स्ट्रक्चर है, उससे सालाना कम से कम एक हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया जा सकेगा.
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