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मरीज को मिला जीवनदान, IGMC में बड़ी आंत के कैंसर का सफल ऑपरेशन

आईजीएमसी में डाॅक्टराें ने बड़ी आंत में कैंसर के एक मरीज का सफल ऑपरेशन किया है. डॉ. रशपाल ने बताया कि इस बीमारी का सर्जरी ही एकमात्र इलाज होता है. ऑपरेशन में सबसे जटिल काम होता है, मरीज के शौच के रास्ते का बचाना.

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Published : May 25, 2021, 2:26 PM IST

शिमला: आईजीएमसी में तैनात सर्जरी के डॉक्टरों ने बड़ी आंत में कैंसर के एक मरीज का सफल ऑपरेशन किया. करीब आठ घंटे यह सर्जरी चली. ऑपरेशन के 10 दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई है. अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है. आईजीएमसी में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है. ऑपरेशन करने वाली टीम में आईजीएमसी के सर्जरी विभाग में में तैनात ऑंकोलॉजिस्ट डॉ. रशपाल, प्रो. पुनीत महाजन और डॉ. विक्रम मौजूद थे.

क्या थी बीमारी
कुल्लू के 33 वर्षीय युवक को एक दुर्लभ और अनुवांशिक बीमारी थी, जिसे फैप के नाम से जाना जाता है. डॉ. रशपाल ने बताया कि इस बीमारी में बड़ी आंत में पोलिप या गांठें, जो कि हजारों की संख्या में होते हैं. इनका समय पर ऑपरेशन ना किया जाए तो मरीज को 100 फीसदी कैंसर होने का खतरा रहता है. इस मरीज को यह फोलिप शौच के रास्ते में 2-3 सेंटीमीटर से ही शुरू हो गए थे और पूरी बड़ी आंत में हजारों की संख्या में ऐसे फोलिप थे.

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सर्जरी ही एकमात्र इलाज

डॉ. रशपाल ने बताया कि इस बीमारी का सर्जरी ही एकमात्र इलाज होता है. ऑपरेशन में सबसे जटिल काम होता है, मरीज के शौच के रास्ते का बचाना. अन्यथा मरीज के शौच का रास्ता पेट से बाहर निकाला जाता है. यह आजीवन उसी अवस्था में रहता है और मरीज के लिए एक मानसिक आघात रहता है. मगर डॉक्टरों की टीम ने एक कैथेटर के माध्यम से मरीज के शौच के रास्ते से छौटी आंत का इस्तेमाल कर रास्ता बनाया और बड़ी आंत में पनप रहे इस कैंसर को निकाल बाहर किया.

डाॅ. रशपाल है एकमात्र कैंसर के सर्जन

आईजीएमसी में डॉ. रशपाल एकमात्र कैंसर के सर्जन हैं. जिन्होंने अपनी सुपर स्पेशियलिटी कैंसर सर्जरी देश के नंबर एक संस्थान एम्स न्यू दिल्ली से की है. डॉ. रशपाल मूल रूप से सरकारघाट मंडी से संबंध रखते हैं. वह आईजीएमसी शिमला में अगस्त 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अब तक आईजीएमसी में 100 से 120 जटिल ऑपरेशन किया है. मगर यह इस तरह का पहला ऑपरेशन किया गया.
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