शिमला: इस वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव हो सकते हैं. बता दें कि एचपीयू कैंपस सहित कॉलेजिस में छात्रसंघ के आखिरी चुनाव 2014 में हुऐ थे और छात्र संगठनों में हिंसा की गतिविधियों के कारण पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी को इन्हें बैन करना पड़ा था.
प्रदेश में छात्र संघ चुनावों का इतिहास खूनी साबित हुआ है. कई छात्र नेता हिंसा में अपनी जान तक भी गंवा चुके हैं.1978 में छात्र सुरेश सूद भी छात्र संगठनों के बीच हुई खूनी हिंसा का शिकार हुए थे और इनकी हत्या कर दी गई थी. इसी तरह से 1984 में एक और छात्र भरत भूषण और 1987 में एनएसयूआई के नेता नासीर खान की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद कई वर्षों तक विवि में तनावपूर्ण माहौल बना रहा था. इसके बाद 1995 में फिर एक बार एबीवीपी के एक छात्र नेता कुलदीप ढटवालिया को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. उस समय छात्र संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में एक बड़ा निर्णय लिया गया था जिसके बाद अभी तक मेरिट के आधार पर ही एचपीयू सहित कॉलेजों में एससीए का गठन किया जा रहा है.