शिमला:एक वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार आने वाले समय में प्रदेश को जैव विविधता अधिनियम 2002 के प्रावधानों के माध्यम से लगभग 36 करोड़ सालाना आय होगी. इसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह राशि उन ग्राम पंचायतों में भेजी जानी हैं जहां से उन जैव संसाधनों/जड़ी बूटियों का व्यापार हुआ होगा और यह राशी जैव संसाधनों/जड़ी बूटियों के संरक्षण में व्यय की जाएगी.
शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान जानकारी दी गई कि प्रदेश जैव विविधता अधिनियम 2002 के कार्यान्वयन में देश में अग्रणी प्रदेशों में से एक हैं. राज्य जैव विविधता बोर्ड ने जैव विविधता अधिनियम 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत 3371 जैव विविधता प्रबंधन समितियां तथा इतने ही लोक जैव विविधता रजिस्टर तैयार किये हैं. जैव विविधता बोर्ड प्रदेश में चार जैव विविधता विरासत स्थलों की अधिसूचना पे कार्य कर रहा है.
वेबसाइट पर है लोक जैव विविधता रजिस्टर से संबंधित जानकारी
लोक जैव विविधता रजिस्टर से संबंधित जानकारी अपलोड करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को जैव विविधता बोर्ड की वेबसाइट पर होस्ट किया है और 3371 जैव विविधता प्रबंधन समितियों को यूनिक आईडी और पासवर्ड प्रदान किए गए हैं. राज्य जैव विविधता बोर्ड की वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी शुभ्रा बनर्जी ने जैव संसाधनों के सरंक्षण और इसके उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा संरक्षण के बारे में भी चर्चा की.
उन्होंने कहा कि जैव विविधता अधिनियम 2002 के हित लाभ प्रावधानों के अनुसार उपयोगकर्ता उद्योग के सहूलियत के लिए राज्य जैव विविधता बोर्ड ने एक ऑनलाइन आवेदन पत्र अपने वेबपोर्टल होस्ट किया है. पत्रकारों को संबोधित करते हुए परियोजना समन्वयक, डॉ. मुरारी ठाकुर ने बताया कि राज्य जैव विविधता बोर्ड ने अपने व्याख्यान में जैव विविधता अधिनियम 2002 के कुछ प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख किया.