शिमला: रेबीज का अगर सही समय पर उपचार शुरू कर दिया जाए तो यह पूरी तरह ठीक होने वाली बीमारी है. हर साल दुनियाभर में करीब 55 से 60 हजार मौतें रेबीज के कारण होती हैं. भारत में करीब 20 हजार लोग रेबीज के कारण अपनी जान गंवा देते हैं.
डॉग बाइट के मामलों में इजाफा
प्रदेश में कुत्तों के काटने से अस्पताल पहुंचने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके अलावा बंदरों के काटने से अस्पताल पहुंचने वाले लोगों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है. हिमाचल में ऐसे मामले भी देखने को मिले हैं जब संक्रमित बंदर के काटने के बाद लोगों में रेबीज के लक्षण मिले हों. इसके अलावा कांगड़ा से एक मामला ऐसा भी सामने आया है जहां संक्रमित नेवले ने एक व्यक्ति को काट लिया और बाद में व्यक्ति रेबीज संक्रमित पाया गया.
हर आधे घंटे में 1 व्यक्ति की मौत
संक्रमित कुत्तों के काटने से करीब 97 प्रतिशत मामलों में रेबीज पाया गया है. संक्रमित बिल्ली के काटने से 2 प्रतिशत और अन्य जानवरों के काटने से एक प्रतिशत लोगों में रेबीज पाया गया है. रेबीज के सस्ते इलाज की खोज करने वाले और पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर ओमेश भारती ने बताया कि देश में हर आधे घंटे में एक आदमी की मौत रेबीज से होती है. लगभग 20 हजार लोग हर साल रेबीज का शिकार हो जाते हैं.
डॉग बाइट पर तुरंत अस्पताल जाएं
कुत्ते के काटने से करीब 70 लाख लोग अस्पताल पहुंचते हैं. डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि डॉग बाइट को गंभीरता से लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि जैसे ही किसी व्यक्ति को कुत्ता काटता है, उसे सबसे पहले जख्म को नल के नीचे बहते पानी में करीब 15 मिनट तक रखना चाहिए ताकि संक्रमित कुत्ते का सलाइवा पानी में बह जाए. इसके बाद एंटीसेप्टिक लगाएं. अगर घर में सैनिटाइजर उपलब्ध हो तो वह भी लगाया जा सकता है. उसके बाद तुरंत अस्पताल जाएं.
हिमाचल में डॉग बाइट का इलाज निशुल्क
पीड़ित व्यक्ति खुद निर्णय न करे कि उसे अस्पताल जाना चाहिए या नहीं. चाहे कुत्ते के बच्चे ने ही काटा हो, अस्पताल जरूर जाना चाहिए. डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि हिमाचल जैसी जगह में डॉग बाइट का इलाज पूरी तरह फ्री है इसलिए लोगों को किसी भी प्रकार की ढील नहीं अपनानी चाहिए. अगर डॉग बाइट का इंजेक्शन पहले ही लगवा लिया जाए तो रेबीज होने का खतरा खत्म हो जाता है लेकिन अगर एक बार रेबीज हो गया तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है.
स्क्रैच करने पर भी इंजेक्शन जरूर लगवाएं
डॉक्टर उमेश भारती ने कहा कि हिमाचल में रेबीज वैक्सीनेशन प्रोटोकॉल फॉलो किया जाता है. इसके लिए निश्चित समय पर चार इंजेक्शन लगाए जाते हैं. रेबीज के इलाज को लेकर मूलभूत सुविधाओं की बात करें तो हिमाचल में लोगों का ठीक से उपचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि लोगों को सही जानकारी नहीं है. अगर कोई व्यक्ति जानवर के खंरोचे जाने का भी शिकार होता है तो उन लोगों को भी एंटी रेबीज टीका लगाना जरूरी होता है.
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