शिमला:मानसून की दस्तक के साथ ही किसान और बागवान खेतों और बगीचों के काम में जुट जाते हैं. इसी दौरान सांप भी जमीन पर निकल आते हैं. ऐसे में किसानों और बागवानों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है. हर साल सर्पदंश के दर्जनों मामले अस्पताल आते हैं. अगर समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है. आईजीएमसी मेडिसिन विभाग में हर साल 60 से 70 मामले सर्पदंश के आते हैं. सबसे अधिक मामले 108 एंबुलेंस के माध्यम से ही अस्पताल पहुंचते हैं.
हिमाचल में पाए जाते हैं 3 जहरीले सांप
दुनिया भर में सांपों की 3,900 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से 270 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. हिमाचल में सिर्फ 35 प्रजातियां ही पाई जाती हैं. इनमें से मुख्यता 3 प्रकार के सांप ही जहरीले होते हैं. कॉमन करेट, कोबरा और वाइपर सांप इतने जहरीले होते हैं कि इनके काटने से व्यक्ति की मौत हो जाती है. बाकी सांप इतने जहरीले नहीं होते हैं. अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए और समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए तो व्यक्ति बच सकता है.
असुरक्षित महसूस होने पर काटते हैं सांप
वन विभाग के विशेषज्ञ डीएफओ राजेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अधिकतर प्रजातियां हिमाचल के मैदानी इलाकों जैसे हमीरपुर, मंडी, ऊना, कांगड़ा में पाई जाती हैं. पहाड़ी इलाको में दो ही सांप पाए जाते हैं. इसमें हिमालयन पिट वाइपर और नॉर्दर्न पिट वाइपर सांप यहां होते हैं. राजेश ने बताया कि खेत मे काम करने वाले किसान को सांप खुद नहीं काटता लेकिन जब सांप असुरक्षित महसूस करता है तो अपने बचाव में काटता है. यदि हम सांप को न छेड़ें तो वह इंसान को नहीं काटते हैं.