शिमलाःदेश में कोरोना वायरस की एंट्री के बाद से ही सभी शिक्षा संस्थानों पर ताला लटका हुआ है. बच्चों ने करीब डेढ़ साल से स्कूलों की शक्ल तक नहीं देखी है. ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है. हालांकि अब कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है. इसी के चलते वापस स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की बात पर चर्चा हो रही है.
शिक्षा विभाग की मानें तो स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन के अनुसार बच्चों की पढ़ाई के लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में स्कूल बेशक बंद रहे लेकिन बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा जारी रही. इस बीच शिक्षकों ने साल भर विद्यार्थियों को पढ़ाया. लॉकडाउन की वजह से स्कूल के लिए भी अपने शिक्षकों और अन्य स्टाफ को तनख्वाह देना मुश्किल हुआ. इसके अलावा स्कूल के कमरे बंद रहने से स्कूल की मेंटेनेंस का खर्चा भी बढ़ा.
सेंट थॉमस स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि कोरोना से कई अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन केवल ट्यूशन फीस लेकर स्कूल का खर्च नहीं निकाला जा सकता. वहीं, दूसरी ओर अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में सभी लोगों की आर्थिकी पर असर पड़ा है. कई अभिभावकों की तो नौकरी तक चली गई है. ऐसे में स्कूल की भारी भरकम फीस भरना मुश्किल हो रहा है.
अभिभावक चाहते हैं कि सरकार स्कूलों में बेमतलब बढ़ाई गई फीस पर एक चेक रखे और स्कूल भी ट्यूशन फीस ही लें. स्कूल के दूसरे खर्चों में रियायत देनी चाहिए. करीब डेढ़ साल बाद स्कूलों का खुलना अब आवश्यक लगने लगा है. बच्चों की स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाना जरूरी है लेकिन कोरोना के खतरे से बचाव और आर्थिक नुकसान से उभरना स्कूल और अभिभावक दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती होने वाली है.