शिमला: हिमाचल भाजपा की कमान अब संघ के अनुशासन में तपे कुशल वक्ता और तेजतर्रार राजनेता डॉ. राजीव बिंदल के हाथ में है. नौ साल के रिकॉर्ड समय तक हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष रहे सतपाल सिंह सत्ती के नेतृत्व में पार्टी ने बेशक कई चुनाव जीते, लेकिन अब डॉ. बिंदल पर दोहरी जिम्मेदारी आई है.
बिंदल के समक्ष आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार रिपीट करने की चुनौती तो है ही, साथ ही उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाथ भी मजबूत करने होंगे. चूंकि जेपी नड्डा हिमाचल से संबंध रखते हैं, लिहाजा चुनावी रण में विजय पताका भी पार्टी के हाथ आए, डॉ. बिंदल को ये लक्ष्य भी साधना है.
यही कारण है कि भाजपा हाईकमान ने काफी सोच-समझकर हिमाचल में पार्टी की कमान राजीव बिंदल को सौंपी है. डॉ. बिंदल भी इस बड़ी जिम्मेदारी का अहसास रखते हैं. चुनावी रणनीति में माहिर राजीव बिंदल कुशल संगठनकर्ता भी हैं.
राजीव बिंदल को प्रदेश भाजपा के सभी बड़े नेताओं को साथ लेकर चलना होगा, साथ ही पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे जयराम ठाकुर के साथ मजबूत बांडिंग भी रखनी होगी. यदि राजीव बिंदल की राजनीतिक कुशलता और संगठन क्षमता को देखना हो तो उनके चुनावी सफर पर नजर डालनी होगी.
साल 2000 में विधान सभा उप चुनाव जीतने से पहले वह सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष रहे. 2003 व 2007 के चुनाव सोलन विधान सभा क्षेत्र से जीते. 2012 में परिसीमन के बाद सोलन विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हलका हो गया. इस प्रकार डॉ. बिंदल को अपनी कर्मभूमि छोडऩी पड़ गई.
उन्होंने नए सफर के लिए सिरमौर जिला की विधानसभा सीट नाहन का रुख किया. ये बिंदल की राजनीतिक चतुराई ही है कि नाहन पहुंचकर उन्होंने हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के गृह जिला में उनके ही बेटे कुश परमार को ही करीब 12 हजार मतों से पराजित किया.