शिमलाःबचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं कि जल है तो कल है. जल की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विशेषज्ञों के अनुसार तीसरा विश्वयुद्ध पानी की समस्या को लेकर होगा. आसमान से बरसने वाली हर बूंद को प्रकृति का आशीर्वाद माना जाता है. देश-दुनिया में पानी बचाने की मुहिम लगातार जारी है लेकिन बावजूद इसके लोग पानी को बचाने को लेकर जागरूक नजर नहीं आते.
2025-30 तक दुनिया पर छाएगा भयंकर जल संकट
देशभर में बारिश के पानी को बचाने की मुहिम जारी है लेकिन यह मुहिम जमीनी स्तर पर लागू होती नजर नहीं आती क्योंकि बारिश का करीब 80 फीसदी पानी व्यर्थ बह जाता है. वर्तमान समय में लोग पानी की अपनी सभी जरूरतों के लिए सरकारी व्यवस्था पर निर्भर हैं. सरकार की ओर से जल प्रबंधन और वितरण का वर्तमान परिदृश्य शहरों में केंद्रित हो गया है. दुनिया भर में पानी का संकट तेजी से गहरा रहा है. विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि स्थितियां नहीं सुधरी तो 2025-30 तक विश्व की 50 फीसदी आबादी भयंकर जल संकट झेलने को मजबूर हो जाएगी. जल संकट से निपटने का सबसे कारगर तरीका वर्षा जल संचयन यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग (rain water harvesting) ही है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक के बिना पास नहीं होता नक्शा
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की राजधानी शिमला में साल 2002 से रेन हार्वेस्टिंग टैंक बनाना अनिवार्य किया गया है. बिना रेन हार्वेस्टिंग टैंक बनाए शिमला में मकान का नक्शा पास नहीं किया जाता. शिमला नगर निगम के अधिकारी आबिद शेख ने बताया कि पूरे शहर में सभी लोगों के लिए साल 2002 के बाद रेन हार्वेस्टिंग टैंक बनाना अनिवार्य है. नक्शा पास करने के लिए मकान बनाने से पहले मालिक को 1 हजार लीटर का टैंक बनाना अनिवार्य है. इस पानी का इस्तेमाल टॉयलेट, बाथरूम के अलावा कपड़े धोने के लिए किया जा सकता है. हालांकि इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि शहर भर में काफी कम मकान मालिक ऐसे हैं जो रेन हार्वेस्टिंग से संचित होने वाले जल का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बारिश के पानी का इस्तेमाल करें.
लोग नहीं कर रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्कीम का इस्तेमाल
शिमला शहर के विकासनगर में रहने वाले अजय शर्मा ने बताया कि उनके घर में रेन हार्वेस्टिंग टैंक बना हुआ है. इस टैंक के जरिए वह अपने घर पर रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी की पूर्ति टैंक के पानी से करते हैं लेकिन आस-पड़ोस के लोग टैंक का इस्तेमाल करते हुए नजर नहीं आते. उनका मानना है कि सभी लोगों को रेन हार्वेस्टिंग से संचित होने वाले जल का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं, अमिंदर सिंह ने बताया कि वह अपने घर में रेन हार्वेस्टिंग टैंक से पानी का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन्होंने अमूमन लोगों को इस तरह पानी का इस्तेमाल करते हुए नहीं देखा. उन्होंने कहा कि रेन वाटर का इस्तेमाल कपड़े धोने और बर्तन धोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
रेन वाटर के इस्तेमाल से किया जा सकता है जल संरक्षण
शिमला शहर में वकालत करने वाले सुमित शर्मा ने बताया कि उनके घर में रेन हार्वेस्टिंग टैंक बना हुआ है. नगर निगम के नियम के अनुसार भी टैंक बनानी जरूरी है लेकिन लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर जागरूक नहीं हैं. लोग आमतौर पर रेन हार्वेस्टिंग से एकत्रित होने वाले पानी का इस्तेमाल नहीं करते. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि लोगों को रेन हार्वेस्टिंग के बारे में जागरूक करे. लोगों ने घर पर टैंक तो बनाए हुए हैं लेकिन उस पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पानी का संकट और अधिक गहरा सकता है. शिमला में पहले से ही पानी की समस्या रहती है. ऐसे में अगर रेन वाटर हार्वेस्टिंग से एकत्रित होने वाले पानी का इस्तेमाल किया जाए तो भारी मात्रा में पानी बचाया जा सकता है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग करने से मिलते सकते हैं अनेकों फायदे
बारिश के पानी का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए बहुत जरूरी है. भविष्य में जल की कमी से बचने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सबसे कारगर मार्ग है. आम आदमी के पानी की जरूरत इतनी अधिक है कि विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी की मांग को सतह का जल पूरा नहीं कर सकता. अपनी जरूरतों के लिए सभी भूमि जल पर निर्भर हैं. वन की कटाई, तेजी से बढ़ता शहरीकरण और नीचे की मिट्टी से बारिश के पानी के रिसने से लगातार जलस्तर घट रहा है. प्राकृतिक जल संसाधनों में जल के स्तर को बारिश के पानी का संग्रहण बनाए रखता है. यह सड़कों पर बाढ़ का खतरा और मिट्टी की घिसावट के खतरे को कम करने के साथ ही जल की गुणवत्ता को भी सुधारता है. सतह से बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत असरदार और पारंपरिक तकनीक है. इसे छोटे तालाबों, भूमिगत टैंक, डैम और बांध के लिए इस्तेमाल से किया जा सकता है.
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