शिमला: संकट के समय श्रद्धालुओं को परमसत्ता की याद आती है. कोरोना के इस विकट समय में देवभूमि हिमाचल की जनता भी देवालयों और शक्तिपीठों के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. श्रद्धालुओं का इंतजार अब खत्म हो रहा है. गुरूवार से हिमाचल में सभी शक्तिपीठों और देवालयों के कपाट खुल रहे हैं.
हालांकि प्रशासन ने मंदिरों में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ नियम भी तय किए हैं. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोग मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे. सूखा प्रसाद ही चढ़ाया जाएगा. साथ ही कीर्तन और भंडारे पर फिलहाल रोक रहेगी. मंदिरों के प्रवेश द्वार पर लटकाई गई घंटियों को भी ढंका जाएगा, ताकि संक्रमण का खतरा न रहे. बेशक सरकार ने एसओपी के साथ मंदिरों व शक्तिपीठों के कपाट खोले हैं, परंतु श्रद्धालु इसी बात से बहुत प्रसन्न हैं कि उन्हें शक्तिपीठों में मां के दर्शन होंगे और अन्य देवालयों में अपने आराध्य की प्रतिमाओं पर श्रद्धा सुमन चढ़ाने का अवसर मिलेगा.
अद्भुत है हिमाचल के शक्तिपीठों की गाथा
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. यहां कई शक्तिपीठ हैं. इनमें मां चिंतपूर्णी, श्री नैना देवी, मां ज्वालामुखी, मां बज्रेश्वरी, मां चामुंडा विख्यात शक्तिपीठ हैं. नवरात्रि के दौरान यहां देश-विदेश के आस्थावान लोगों की भीड़ जुटती है. कोरोना काल में पिछले साल से लेकर अब तक शक्तिपीठों की रौनक गायब रही है. बीच में कुछ समय के लिए कपाट खुले भी थे, लेकिन दूसरी लहर में फिर से बंदिशें लगाई गईं.
इन शक्तिपीठों से जुड़ी कहानियां श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है. कई श्रद्धालु नंगे पैर पैदल आते हैं और कई जमीन पर लेट-लेट कर दर्शन को पहुंचते हैं. मां ज्वालामुखी में बिना बाती और तेल निरंतर ज्योति जलती है. मां चिंतपूर्णी के दर्शन मात्र से सभी चिंताएं दूर होती हैं. इसी तरह श्री नैना देवी और मां चामुंडा तथा मां ब्रजेश्वरी देवी के मंदिरों से अनेक कथाएं जुड़ी हैं.
35 मंदिरों का सरकार ने किया है अधिग्रहण
हिमाचल प्रदेश में शक्तिपीठ व कई प्रख्यात मंदिर सरकारी अधिग्रहण में हैं. प्रदेश के 35 मंदिरों का सरकार ने अधिग्रहण किया है और यहां चढ़ावे के तौर पर आने वाली रकम मंदिर ट्रस्ट जमा करवाता है. उस पैसे से मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण और अन्य सुविधाओं का विकास किया जाता है. साथ ही गरीब कन्याओं की शादी का खर्च भी दिया जाता है.
सबसे अमीर है मां चिंतपूर्णी का मंदिर
सबसे अमीर मंदिर की बात की जाए तो ऊना जिला में मां चिंतपूर्णी का खजाना सबसे अधिक है. चिंतपूर्णी मां के खजाने में एक अरब रुपए से अधिक की एफडी के साथ मंदिर के पास एक क्विंटल 98 किलो सोना है. वहीं, मां नैना देवी मंदिर के ट्रस्ट में 58 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक एफडी व एक क्विंटल से अधिक सोना है. मां श्री नैनादेवी के खजाने में 11 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी भी है. इस मंदिर के खजाने में एक क्विंटल 80 किलो सोना और 72 क्विंटल से अधिक की चांदी है. सोना-चांदी के हिसाब से केवल दो मंदिर नैना देवी और चिंतपूर्णी ही भरपूर हैं.