शिमला: हर बार महंगाई से आंसू निकाल देने वाला प्याज, अब प्रदेश की जनता को और अधिक नहीं रुला पायेगा. ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि प्रदेश में अब एक साल में दो बार प्याज की फसल ली जा सकेगी.
प्रदेश की प्याज के मामले में इससे अन्य प्रदेशों पर निर्भरता भी कम होगी और मूल्य नियंत्रण में भी सहायता मिलेगी. सबसे अधिक लाभ हिमाचल के किसानों को होगा उनकी आय में दोगुनी बढ़ोतरी हो सकती है. अगर अच्छी फसल हुई तो बाहरी राज्यों को भी प्याज सप्लाई किया जा सकेगा.
नौणी विवि के नेरी स्थित बागवानी और वानिकी महाविद्यालय में वैज्ञानिक दीपा शर्मा को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से बरसाती प्याज की खेती करने और इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए 20 लाख 43 हजार रुपए की एक परियोजना मंजूर हुई. इस परियोजना के अंतर्गत दीपा शर्मा और उनके दो अन्य सहयोगी वैज्ञानिकों राजीव रैना और संजीव बन्याल ने काम शुरू किया और गांव चुवाड़ी, थलेल, परछोग,सुकरेनी और साच जैसे दर्जनों गावों में ढाई सौ के करीब किसानों को बरसाती प्याज लगाने की तरकीब सिखाई. खास कर महिलाओं ने इस तरकीब को बाखूबी अपनाया और बरसाती प्याज की खेती शुरू कर दी.
देश में अभी तक महाराष्ट जैसे राज्यों में ही साल में प्याज की तीन फसलें उगाई जाती हैं, लेकिन डॉ. यशंवत सिंह परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के हमीरपुर के नेरी में बने बागवानी व वानिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हिमाचल के निचले क्षेत्रों में एक ही साल में प्याज की दो बार खेती करने की तकनीक खोज निकाली है.
चंबा के कुछ गांवों में किसानों ने खरीफ प्याज या बरसाती प्याज की खेती करना शुरू कर दिया है. अब हमीरपुर में इस तकनीक के सहारे खेती करना शुरू किया है. इसके अतिरिक्त कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना, मंडी के कई क्षेत्रों में भी इस खेती को किया जा सकता है. अभी हिमाचल में प्याज की एक ही फसल ली जाती हैं. किसान नवंबर में प्याज के बीज की पनीरी देते हैं और उसे दिसंबर में खेतों में रोप देते हैं. इसके बाद अप्रैल और मई तक प्याज की फसल आ जाती है. किसान यही एक ही फसल उगा पाते हैं.
नई तकनीक द्वारा किसान मार्च में प्याज के बीज की पनीरी देकर नवंबर के अंतिम और दिसंबर में पहले सप्ताह में प्याज की फसल हासिल कर सकते हैं. दीपा शर्मा ने कहा कि इस तकनीक से उन्होंने किसानों को कहा कि वह प्याज के बीज की मार्च महीने में पनीरी दे दें और इसके बाद इसे जून तक ऐसे ही रहने दें. तब इसमें नीचे गांठे विकसित हो जाएंगी.
दीपा शर्मा ने कहा कि जून में इन गांठों को निकाल लें और घर में कहीं भी भंडारण कर लें. इसके बाद अगस्त के पहले सप्ताह में इन्हें दोबारा खेत में रोप दें. अक्तूबर महीने तक हरा प्याज निकाल कर इसे बेच सकते हैं. ये बाजार पर निर्भर करता है कि कि अगर हरे प्याज की कीमत ज्यादा है तो किसान हरा प्याज बेच देता है और अगर हरे प्याज की कीमत कम है तो एक महीने बाद नवंबर के आखिर और दिसंबर के पहले सप्ताह तक प्याज की फसल आ जाती है. अमूमन इस दौरान प्याज बहुत महंगा हो जाता है.
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