शिमला: रामस्वरूप शर्मा के दुखद निधन के बाद खाली हुई मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव सिर पर है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए मंडी सीट पर जीत प्रतिष्ठा का सवाल है. अपने गृह जिला की इस सीट पर भाजपा की हार-जीत जयराम ठाकुर का राजनीतिक भविष्य तय करेगी. मंडी लोकसभा सीट की जंग में जीत का पहला पड़ाव टिकट वितरण होगा.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यहां इस मोर्चे पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. यही कारण है कि मंडी से टिकट के लिए उनके विश्वस्त सहयोगी और सबसे पॉवरफुल कैबिनेट मिनिस्टर महेंद्र सिंह ठाकुर का नाम चर्चा में है. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम की चर्चा इसलिए भी है कि वे चुनावी गणित और चुनाव प्रबंधन के माहिर माने जाते हैं. महेंद्र सिंह के नाम ये रिकॉर्ड है कि उन्होंने अलग-अलग समय में अलग-अलग चिन्ह पर विधानसभा चुनाव जीता है. इसके अलावा पार्टी ने जिस भी चुनाव के लिए उन्हें प्रभारी नियुक्त किया, वो चुनाव भाजपा कभी नहीं हारी.
अब जयराम सरकार के कार्यकाल का अंतिम पड़ाव है और इस दौरान एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर भी प्रभावी होने लगता है, लिहाजा सीएम भी कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते, लेकिन महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम को आगे करने पर और कई राजनीतिक उलझनें बढ़ेंगी. मसलन, यदि महेंद्र सिंह अपनी सीट छोड़ते हैं तो जीतने पर एक और उपचुनाव पार्टी के सिर पर खड़ा हो जाएगा. अथवा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के महेंद्र सिंह का राजनीतिक वारिस कौन होगा. क्या उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलेगा?
ब्राह्मण फैक्टर और ब्रिगेडियर खुशाल सिंह
मंडी सीट से रामस्वरूप शर्मा सांसद थे. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में उन्होंने मौत को गले लगा लिया. रामस्वरूप शर्मा दूसरी बार सांसद बने थे. मंडी सीट पर ब्राह्मण फैक्टर भी प्रभावी रहता है. यदि मुख्यमंत्री इस फैक्टर को तवज्जो देते हैं और युवा चेहरे प्रवीण शर्मा रेस में आते हैं तो अलग समीकरण बन जाएंगे. प्रवीण शर्मा उच्च शिक्षित और समर्पित पार्टी कार्यकर्ता हैं.
अपने साथियों व पार्टी कार्यकर्ताओं में वे पिन्नू के नाम से लोकप्रिय हैं. उनके नाम की भी चर्चा चलती रहती है, लेकिन एक युवा चेहरे पर दांव लगाने से पहले कई बातों पर ध्यान दिया जाएगा. फिर यहां एक और फैक्टर काम कर रहा है और वो खेमा फैक्टर है. इसी सिलसिले में एक नाम करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह का भी है. वे भी मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं.