रामपुर/शिमला: देव मान्यताओं के कारण ही हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है. अगर बात हिमाचल के पहाड़ी इलाकों की करे तो यहां के ग्रामीण आज भी देव परंपराओं को बखूसी से निभा रहे हैं. रामपुर में भी इन्ही परंपराओं का निर्वहन लंबे समय से किया जा रहा है. गुरुवार को रामपुर के विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध देवता अपने एक महीने के प्रवास से अपने मंदिर वापस लौट आए हैं.
बुशहर रियासत के सबसे बड़े राजा कहे जाने वाले देवता साहेब दत्तमहाराज भी अपने एक महीने के प्रवास के बाद मंदिर लौट आएं हैं. इनके प्रवास पर रहने के दौरान करीब एक महीने तक मंदिर के कपाट बंद थे, लेकिन गुरुवार को जैसे ही देवता साहेब मंदिर पहुंचे तो मंदिर के कपाट भी खोल दिए गए.
वहीं, बुशहर के बारहबीस परगना के ईष्ट देवता छिज्जा-कालेश्वर महादेव भी अपने एक माह के स्वर्ग प्रवास को पूर्ण कर 13 फरवरी को वापिस कालेश्वर नगरी देवठी स्थित अपने मंदिर लौट आए हैं. सुबह से ही क्षेत्रवासियों ने अपने घरों को देवता साहब के स्वागत के लिए पाजे की सुगंध से महका दिया था. इस दौरान देवठी के ऐतिहासिक शिवदवाला कुप्पड़ में ढोल नगाड़ों की ध्वनियों के बीच सैकड़ों ग्रामीणों ने अपने ईष्ट के दर्शन और आशीर्वाद लेने एकत्रित होने लगे.
मान्यता है कि देवता स्वर्ग से लौटते ही साल भर की भविष्यवाणी करते हैं. साल कैसा रहने वाला है, अकाल या विपदाएं तो नहीं आने वाली हैं, बारिश होगी या नहीं, महामारी तो नहीं फैलने वाली ऐसी सारी बातें देवता गुर के माध्यम से लोगों को बताते हैं. एक महीने के स्वर्ग प्रवास से लौटे रामपुर क्षेत्र के देवताओं ने लोगों को अच्छा साल रहने का संदेश दिया है.
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