शिमला: अपने गठन के सात दशक के सफर में हिमाचल ने तरक्की के कई शिखर छुए हैं. सीमित आर्थिक संसाधनों वाले प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल देश के टॉप मोस्ट राज्यों में शामिल है.
आपको ये बात जानकरी शायद हैरानी भी हो सकती है कि इस वक्त हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये है. कुल 28 राज्यों में हिमाचल चौथे स्थान पर है. इसके अलावा भी कई पहलू ऐसे हैं, जिस पर हिमाचल गर्व कर सकता है. यहां हिमाचल गठन के सात दशक के सफर पर एक नजर डालना जरूरी है.
आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था. 30 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. उस समय हिमाचल में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं था. तब यहां सड़कों की कुल लंबाई 228 किलोमीटर थी और चारों तरफ अभाव पसरे थे. इस बीच सुखद बात यह है कि साल 1948 में छोटी रियासतों के सहारे जिस हिमाचल का गठन किया गया था, वो आज पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में विकास के मामले में देश भर में मिसाल बना है.
कभी गरीबी और साधनों की कमी से जूझने वाले हिमाचल में आज 40 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें हैं. यही नहीं, समृद्धि की सीढ़ी पर सवार हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये सालाना से अधिक है.
बता दें कि प्रति व्यक्ति बैंक शाखाओं के मामले में भी हिमाचल टॉप पर है. इस बात को तो शायद आप भी जानते ही होंगे कि ई-विधान प्रणाली वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. कठिन और दुर्गम इलाकों वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मोर्चों पर सफलताओं की मिसाल कायम की है.
25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद हिमाचल का आगे बढ़ने का सफर रोमांच से भरा रहा है. 1971 में हिमाचल देश का 18वां राज्य बना था. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाला राज्य है. डॉ. वाईएस परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. जिन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है.