रामपुर: शक्तिपीठ हाटकोटी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र शिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित है. हाटकोटी माता के प्राचीन मंदिर राजधानी शिमला से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर पब्बर नदी के संगम पर सोनपुर पहाड़ी के शिखर छोर पर स्थित है. हाटकोटी माता को महिषासुर मर्दिनी, हाटेश्वरी और हाटकेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है.
पुरातत्वविदों के अनुसार हाटकोटी मंदिर का निर्माण करीब 10वीं शताब्दी के आसपास हुआ. मंदिर में प्राचीन शिल्पकला और वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने आज भी देखे जा सकते हैं. मान्यता है कि अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां आए थे और उन्होंने यहां कुछ दिन बिताए थे. पांडवों के यहां आने के प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं. माता के मंदिर में तांबे का घड़ा, शिव मंदिर, पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं.
हिमाचल का प्रसिद्ध हाटकोटी मंदिर कहा जाता है कि हाटकोटी मंदिर से माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे. मंदिर से माता की मूर्ति को उखाड़ने के लिए बहुत प्रयास किये गये, लेकिन वे जितना गहरा खोदते मूर्ति उतनी ही गहराई में स्थापित प्रतीत होती. अंत तक भी जब वे मूर्ति को नहीं निकाल पाए तो हार मान कर वापस लौट गए.
मान्यता है कि हाटकोटी माता का एक पैर पाताल लोक तक है, जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया. कहा जाता है कि हाटकोटी माता ने ही महिषासुर, जिसे असुरों का राजा भी कहा जाता है का वध किया था, जिसके चलते माता को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.
हाटकोटी माता के दर्शन के लिए हिमाचल के रामपुर, किन्नौर व शिमला समेत पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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