रोहड़ू: भारत 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजी हकुमुत से आजाद हुआ था. आजादी की इस लड़ाई में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया. इन्हीं महान सपूतों की वजह से आज हम स्वतंत्र देश में रहने का आनंद ले रहे हैं.
इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं रोहड़ू के खनोला गांव के रहने वाले ज्ञान सिंह. उनका जन्म 1928 को हुआ. ज्ञान सिंह की प्रारंभीक शिक्षा गांव के एक सरकारी स्कूल में हुई. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो रामपुर चले गए. इसी दौरान भारत में आजादी की लड़ाई तेज होने लगी थी. दूसरे विश्व युद्व के दौरान साल 1944 में ज्ञान सिंह इंडियन रॉयल नेवी में भर्ती हुए और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
साल 1946 में कराची में समुद्री पोत पर रॉयल नेवी ने अंग्रेजों की दमनकारी नितियों के खिलाफ विद्रोह किया था. नेवी के इस बेड़े में ज्ञान सिंह भी मौजूद थे. इस विद्रोह को कुचलने के अंग्रेजों ने वहां पर अपनी सेना भेजी. अंग्रेजों ने 15 हजार सैनिकों को बुलाकर नेवी के जवानों पर हमला कर दिया. आर-पार की इस लड़ाई में इंडियन रॉयल नेवी ने अंग्रेजों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया. स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के डविजन को पूरी तरह से तबाह कर दिया. इस लड़ाई में 10 स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए. वहीं, 40 सैनिक घायल हुए. इस युद्व के बाद अंग्रेजों ने कोर्ट मार्शल कर इंडियन रॉयल नेवी के कई सैनिकों को नौकरी से निकाल दिया, जिनमें से ज्ञान सिंह भी एक थे.