हैदराबाद:21वीं सदी के दूसरे दशक का आखिरी साल यानी 2020, जिसे बीतने में अभी भी करीब 4 महीने का वक्त बाकी है. दरअसल, दुनियाभर में कोरोना वायरस ने जो कोहराम मचाया है उसके कारण कुछ लोग इस साल को याद नहीं रखना चाहते तो कुछ इस साल के जल्द बीतने की दुआ कर रहे हैं, लेकिन सच यह है कि ना तो इस साल को आप कभी भूल पाएंगे और ना ही इस साल के बीतने से कोरोना पर कोई असर पड़ेगा. कोरोना का काम तमाम तब होगा जब बनेगी एक अदद मारक वैक्सीन.
हमारे शरीर पर कई बार कई तरह के परजीवी यानी पैरासाइट, जीवाणु यानि बैक्टीरिया और विषाणु यानि वायरस हमला करते हैं. जिनसे लड़ने के लिए हमारे शरीर को वैक्सीन की जरूरत पड़ती है. चेचक, टेटनेस, रेबीज, खसरा, पोलियो, प्लेग यह उदाहरण है उन रोगों के जिनसे लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने वैक्सीन तैयार की है अब बारी कोरोना वायरस की है. बीते करीब 6 महीनों से दुनियाभर के कई देशों के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन और उसके ट्रायल में लगे हैं. किसी ने वैक्सीन बनाने का दावा कर लिया है तो कुछ आखिरी चरण में होने की बात कह रहे हैं.
11 अगस्त 2020 रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया कि उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है जो कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर है.
रूस में बनी (स्पूटनेक) वैक्सीन दूसरे देशों के लिए जनवरी 2021 तक उपलब्ध हो सकती है. हालांकि रूस ने जिस तेजी से कोरोना वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है उसे लेकर WHO समेत दुनिया के कई देश और वैज्ञानकों को संदेह हो रहा है.
रूस के अलावा दुनियाभर में करीब 23 वैक्सीन पर अलग-अलग देशों में काम चल रहा है, लेकिन इनमें से कुछ ही ट्रायल के तीसरे और अंतिम चरण में पहुंच पाई हैं, यानि यह वो वैक्सीन हैं जिनसे सबसे ज्यादा उम्मीद है. इनमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, मॉडर्ना फार्मास्युटिकल्स, चीनी दवा कंपनी सिनोवैक बॉयोटेक के वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स अहम हैं.
रूस के बाद चीन ने भी अपनी एक वैक्सीन को पेटेंट दे दिया है. चीन की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन एजी5-एनसीओवी को पेटेंट मिल गया है. इस वैक्सीन को चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस के साथ मिलकर तैयार किया है. चीन इस वैक्सीन के तीसरे चरण का दुनिया के कई देशों में ट्रायल कर रहा है और इस साल के आखिर तक इसके बाजार में आने की उम्मीद है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन प्रोजेक्ट ChAdOx1 में स्वीडन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका भी शामिल है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड वैक्सीन के ट्रायल का काम दुनिया के अलग-अलग देशों में चल रहा है.
इंग्लैंड में अप्रैल के दौरान इस वैक्सीन प्रोजेक्ट के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल का काम एक साथ पूरा किया गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का ये वैक्सीन प्रोजेक्ट अब ट्रायल और डेवलपमेंट के तीसरे और अंतिम चरण में है.
भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी ऑक्सफोर्ड कोविड वैक्सीन के भारत में इंसानों पर परीक्षण की तैयारी में है. अगर अंतिम चरण के नतीजे भी सकारात्मक रहे, तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम साल के आखिर तक ब्रिटेन की नियामक संस्था 'मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी' (एमएचआरए) के पास रजिस्ट्रेशन के लिए साल के आखिर तक आवेदन करेगी.