शिमला: प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के समक्ष इस समय बड़ी चुनौती है. सरकार को एक साथ तीन-तीन उपचुनाव का सामना करना है. मंडी लोकसभा सीट के अलावा फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं के देहावसान के कारण खाली है.
मंडी सीट पर रामस्वरूप शर्मा दूसरी बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. इस साल मार्च महीने में दिल्ली स्थित आवास पर रामस्वरूप शर्मा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी. वहीं, जुब्बल-कोटखाई से विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता नरेंद्र बरागटा का पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन के कारण हाल ही में निधन हुआ है. भाजपा के लिए दोनों नेताओं का देहांत भारी क्षति है. कारण ये है कि मंडी सीट पर रामस्वरूप शर्मा का पैर अंगद की तरह जम गया था और ऊपरी शिमला में नरेंद्र बरागटा पार्टी के प्रतिनिधि चेहरे थे.
अब इन सीटों को बरकरार रखना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है. बेशक रामस्वरूप शर्मा और नरेंद्र बरागटा के परिवार के लोग राजनीति में बहुत अधिक सक्रिय नहीं रहे, परंतु अपने पूर्वजों की विरासत को भला कौन आगे नहीं बढ़ाना चाहता? नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा तो फिर भी भाजपा में कमोबेश सक्रिय हैं, लेकिन रामस्वरूप शर्मा के परिवार में ऐसी स्थिति नहीं है. ये अलग बात है कि उनके बड़े बेटे शांति स्वरूप शर्मा अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र के तहत जोगेंद्रनगर में पार्टी का काम देखते आए हैं, लेकिन पार्टी में खास सक्रिय नहीं रहे.
टिकट की आशा
दोनों नेताओं के परिवार के लोग अंदरखाते तो उनकी विरासत को संभालने के लिए तैयार हैं और टिकट की आशा भी रखते हैं, लेकिन निर्णय पार्टी हाईकमान को लेना है. दिवंगत सांसद रामस्वरूप शर्मा के बेटे शांति स्वरूप शर्मा ने कुछ समय पहले सीएम जयराम ठाकुर से भी मुलाकात की थी. वे दबी जुबान में कहते हैं कि उन्हें पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने का अवसर मिले तो उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे. वहीं, नरेंद्र बरागटा के परिवार में से अभी तक खुले तौर पर ऐसे कोई संकेत नहीं आए हैं, लेकिन उनके समर्थक चाहते हैं कि बरागटा के बेटे चेतन को पारी जारी रखने का मौका मिलना चाहिए.
पिता का हाथ बांटते थे चेतन बरागटा
चेतन बरागटा भाजपा में आईटी हैड के साथ-साथ संयोजक की भूमिका भी निभा रहे हैं. चेतन बरागटा भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी सक्रिय रहे हैं. वे अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र में भी राजनीतिक कामकाज में उनका हाथ बंटाते रहे हैं. नरेंद्र बरागटा पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खास सिपहसालार रहे हैं. चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्री पद नहीं मिल पाया था, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक का पद दिया. बरागटा की पोस्ट कैबिनेट रैंक की थी. साथ ही वे सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जनमंच के भी सर्वेसर्वा थे.