शिमला:शिमला में करीब 7 गैस एजेंसियां हैं और हर एजेंसी में 14-15 लोग सिलेंडर की डिलीवरी का काम करते हैं. इन लोगों का कहना है कि वह अपनी तरफ से तो सोशल डिस्टेंसिंग करने का पूरा ध्यान रखते हैं. मास्क पहनकर ही सिलेंडर की डिलीवरी करने जाते हैं. सैनिटाइजेशन का भी ध्यान रखा जाता है, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है.
सरकार की तरफ से नहीं कोई मदद
सिलेंडर डिलीवरी करने वालों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में तो सहायता की गई थी, लेकिन दूसरी लहर में न तो सरकार और न ही कोई स्वयंसेवी संस्था मदद के लिए आगे आई है. इन लोगों के लिए गैस एजेंसी के मालिक ने ही मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम किया है.
गुजर-बसर करना हो रहा है मुश्किल
इन लोगों का कहना है कि कोरोना की वजह से शहरों में सिलेंडर की मांग कम हो गई है. लोगों ने गांवों का रुख कर लिया है. ऐसे में इन लोगों की दिहाड़ी पर भी असर पड़ रहा है. एक सिलेंडर छोड़ने के 50 रुपए मिलते थे. इस हिसाब से एक दिन में 300-400 रुपए कमाई हो जाती थी, लेकिन आजकल हालात खराब हैं. गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा है.
अभी तक नहीं हुआ है वैक्सीनेशन
सिलेंडर डिलीवरी करने वाले हर रोज लोगों के संपर्क में आते हैं. ऐसे में उनका वैक्सीनेशन होना बेहद जरुरी है, लेकिन अभी तक इन लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. यह काम करने वाले ज्यादातर लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में उन्हें वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्टर करना भी नहीं आता.