शिमलाः देश के करीब आधे हिस्से में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है. प्रवासी पक्षियों की इस वायरस से भारी संख्या में मौत के बाद अब देश के विभिन्न कोनों से स्थानीय पक्षियों की मौत की खबरें भी आ रही हैं. कुछ राज्यों में मुर्गियां भी इसकी चपेट में आ गई हैं. बर्ड फ्लू क्या है, कैसे ये फैलता है और किस तरह इससे बचाव किया जा सकता है. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने एपिडेमियोलॉजिस्ट व पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मुनिष बत्ता के साथ खास बातचीत की है.
क्या है बर्ड फ्लू?
डॉ. मुनिष बत्ता ने बताते हैं कि बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा के रूप में जाना जाता है. पक्षियों में फैलने वाला यह एक संक्रामक रोग है. यह मुख्य रूप से टाइप ए इनफ्लुएंजा वायरस के कारण होता है. यह वायरस प्रवासी पक्षियों, घरेलू मुर्गियों और कौवें को सबसे अधिक प्रभावित करता है. एवियन इन्फ्लूएंजा अन्य संक्रामक रोग की तरह ही फैलता है. बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षी की लार, नाक स्राव, मल और फीड से दूसरों पक्षियों में फैलता है. संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से मनुष्य में भी इस संक्रमण के फैलने का खतरा रहता है.
बर्ड फ्लू होने का कारण
डॉ. मुनिष बत्ता के अनुसार यह विषाणु जनित रोग है और पक्षियों में होता है. साधारण तय प्रवासी पक्षियों के अंदर यह वायरस नॉर्मल प्रेजेंट होता है, लेकिन जब पक्षी स्ट्रेस में आता है और लंबा सफर तय करके दूसरे स्थान पर पहुंचता है, तो यह विषाणु उस पक्षी के अंदर फैल जाते हैं, जिससे पक्षी की मृत्यु तक हो जाती है.
ये हैं लक्षण
वहीं, जब पोल्ट्री में यह विषाणु प्रवेश करता है तो अचानक से बहुत सी मुर्गियों की मृत्यु दर्ज की जाती है. इसके अलावा पक्षियों की आंखों से पानी बहना, आंखों की पलके या टांगे नीली पड़ जाना ही इसके लक्षण हैं. इसके अलावा अचानक से भारी संख्या में पक्षियों की मौत होना, इसके सामान्य लक्षण है.
ऐसे करें बचाव
विशेषज्ञ के अनुसार यदि मुर्गी पालक को इस प्रकार के लक्षण मुर्गियों में दिखते हैं तो उसे जल्द से जल्द नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में संपर्क करना चाहिए, ताकि उनके सैंपल लैब में भेजे जा सके और पता लगाया जा सके. वहीं, जब तक पक्षियों के मौत के सही कारणों की रिपोर्ट नहीं आती तब तक मुर्गी पालकों को एतिहात बरतते हुए उस स्थान से दूरी बना कर रखनी चाहिए.
डॉ. मुनिष बत्ता ने बताया कि यदि रिपोर्ट आने के बाद पोल्ट्री फार्म में वायरस की पुष्टि हो जाती है तो फिर उस क्षेत्र को सील कर दिया जाता है. करीब एक किलोमीटर के क्षेत्र के अंदर मुर्गियों को मार दिया जाता है और वैज्ञानिक तरीके से दफनाया जाता है ताकि यह वायरस और अधिक ना फैल कर सके.
मृत पक्षी को नंगे हाथों से न छुएं
वहीं, हिमाचल प्रदेश में वर्ल्ड फ्लू का एच5एन1 वायरस पाया गया है. अगर पूरे देश की बात करें तो भारत में कई स्थानों पर एच5एन7 या एच5एन8 भी पाया गया है. पक्षी के वेस्ट से इस संक्रमण के फैलने की आशंका अधिक रहती है. जब फार्म के आसपास या कहीं भी पक्षी मृत पाए जाते हैं, तो उन्हें नंगे हाथों से नहीं छुना चाहिए. तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में संपर्क किया जाना चाहिए, ताकि उनका वैज्ञानिक तरीके से निपटारा किया जा सके.
ये कार्य बिल्कुल भी न करें संक्रमित एरिया इसलिए किया जाता है सील
पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार पशुओं में इस संक्रमण की संभावना बहुत कम रहती है, लेकिन उनके पांव के साथ पक्षियों की बीट एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंच जाती है. इससे उस स्थान पर पक्षी या मनुष्य संक्रमित बीट के संपर्क में आ सकते हैं और यह संक्रमण फैल सकता है. इसलिए जिस भी क्षेत्र में बर्ड फ्लू की पुष्टि होती है उसके एक दायरे में पशुओं के चराने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है, ताकि पक्षियों की बीट एक स्थान से दूसरे स्थान तक किसी भी माध्यम से ना पहुंच सके.
मनुष्य में आसानी से यह संक्रमण नहीं आता लेकिन जो व्यक्ति पोल्ट्री फॉर्म में काम करते हैं या मुर्गी पालन का व्यवसाय करते हैं, उनमें इस संक्रमण के आसानी से प्रवेश की आशंका बनी रहती है. ऐसे में जो लोग मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े हैं, उन लोगों को इन दिनों में सावधानी बरतनी की ज्यादा जरूरत है.
लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क
उन्हें अपना काम करते समय सही तरीके से दस्ताने सहित मुंह ढकना चाहिए. इसके अलावा यदि उनके फार्म में पक्षी मृत पाए जाते हैं, तो उसे नजदीकी पशुपालन विभाग से संपर्क करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति में बर्ड फ्लू संक्रमण प्रवेश करता है तो उसमें सामान्य संक्रमण वाले लक्षण दिखेंगे, जैसे व्यक्ति का नाक बहना, सर्दी लगना, जुखाम होना या फिर डायरिया या दस्त, खांसी होना. इन सभी लक्षण आने पर व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और पूरी बात विस्तार से बतानी चाहिए ताकि उनका टेस्ट किया जा सके और आगे का इलाज किया जा सके.
चिकन-अंडा खाने से पहले अच्छी तरह से पकाना जरूरी
डॉ. मुनिष बत्ता ने बताया कि कोई भी चीज यदि 70 डिग्री पर उबाल के खाई जाती है तो यह संक्रमण खत्म हो जाता है, इसलिए जब भी चिकन पकाना हो तो अच्छी तरह से साफ करें और अच्छें से पकाएं. इसके अलावा साफ करते समय दस्ताने पहनने चाहिए.
मृत पक्षी मिलने पर पशु पालन विभाग को बताएं
वहीं, पशु पालन विभाग के डीप्टी डायरेक्टर ने अपील की कि बर्ड फ्लू से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए. यदि कोई मृत पक्षी दिखाई देता है या अधिक संख्या में मृत पक्षी दिखाई देते हैं तो निकटतम पशु चिकित्सा संस्थान में संपर्क करें और पक्षी को खुद न छुएं.
ये भी पढ़ें-बर्ड फ्लू: 64 कौवों की रिपोर्ट पॉजिटिव, कश्तियों से होगी मृत पक्षियों की तलाश