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सुगमता की ओर अग्रसर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, दिव्यांगों के लिए राहें हुईं आसान

एचपीयू में उच्च शिक्षा प्राप्त करना दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए कई विशेष सुविधाओं की शुरुआत की गई है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor of Himachal Pradesh University) प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने बताया कि प्रत्येक विषय में एमफिल और पीएचडी में हर वर्ष सीधे प्रवेश के जरिए एक सीट दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की गई है.

Himachal Pradesh University
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय.

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Published : Aug 27, 2021, 8:47 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) में उच्च शिक्षा प्राप्त करना दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए कोई सपना नहीं है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से इस दिशा में शुरू किए गए विशेष प्रयासों के परिणाम देखने को मिल रहे हैं. विश्वविद्यालय में पहली बार बड़ी संख्या में विद्यार्थी नि:शुल्क पढ़ाई कर रहे हैं. वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में 15 विद्यार्थी पीएचडी कर रहे हैं. अनेक ने जेआरएफ, नेट और सेट की परीक्षा पास की है.


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor of Himachal Pradesh University) प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय को परिसर को बाधारहित बनाने के लिए 5 करोड़ की लागत से चल रहे हैं. प्रोजेक्ट के पहले चरण में लिफ्ट बन चुकी है. 7 लिफ्ट और कई रैंप बनाने का काम जोरों पर चल रहा है. कुछ शौचालयों को भी बाधा रहित बनाया जा रहा है. प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में नए लिफ्ट और रैंप पर काम किया जाएगा. 2 साल पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दृष्टिबाधित एवं दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए एक नई सुबह में लाइब्रेरी का उद्घाटन किया था. इसके 17 कंप्यूटरों में विभिन्न प्रकार के टॉकिंग सॉफ्टवेयर हैं जिनके जरिए दृष्टिबाधित विद्यार्थी सुनकर ऑनलाइन एवं प्रिंटेड पुस्तकें पढ़ते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.
कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार ने बताया कि प्रत्येक विषय में एमफिल और पीएचडी में हर वर्ष सीधे प्रवेश के जरिए एक सीट दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की गई है. किसी भी विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए ऐसी सुविधा नहीं है. शेष कक्षाओं में दाखिला में पांच फीसदी भी आरक्षण के साथ लागू किया गया है. विश्वविद्यालय का पोर्टल भी दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह एक्सेसिबल है. दिव्यांग एवं हाथ से लिख पाने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए राइटर की सुविधा को भी आसान बनाया गया है.

यूजीसी और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पात्र दिव्यांग विद्यार्थी किसी भी शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति को अपना राइटर बना सकते हैं. दिव्यांग विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के हॉस्टल से कैंपस तक लाने और वापस छोड़ने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. विश्वविद्यालय की बस सेवा उनके लिए निशुल्क है. विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों को राज्य सरकार के माध्यम से छात्रवृत्ति भी दी जाती है. प्रोफेसर सिकंदर कुमार का कहना है कि दिव्यांग का कोई अभिशाप नहीं है. दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अधिकारों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है.

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