शिमला: रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि रेरा सिविल कोर्ट की तरह कार्य करेगा. दोनों पक्षों को सुनकर सही निर्णय किया जाएगा. अगर बिल्डर दोषी पाया जाता है तो उस पर प्रोजेक्ट की कीमत के हिसाब से फाइन लगाया जाएगा. इसके अलावा भी कॉस्ट रिकवरी और अन्य प्रकार से दंड दिया जा सकता है.
नियमों के अनुसार अब सभी भवन निर्माण कार्य में लगी कम्पनियों और ठेकेदारों को रेरा के तहत पंजीकरण करवाना पड़ेगा, लेकिन अगर कोई ऐसा नहीं करेगा तो उसके खिलाफ नियमों के मुताबिक तीन साल की सजा और प्रोजेक्ट कास्ट का 10 फीसदी जुर्माना भी भरना पड़े सकता है.
प्रदेश में रेरा के गठन के बाद अभी तक 70 बिल्डरों ने खुद को पंजीकृत कर दिया है. खास बात यह है कि शहरों के आसपास के क्षेत्रों से अधिक बिल्डर्स के पंजीकरण आये हैं. शिमला, सोलन, धर्मशाला बद्दी क्षेत्रों से अधिक बिल्डर्स के पंजीकरण आये है.