हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

ईटीवी भारत से बोले रि. कर्नल इंद्र सिंह, चालबाज चीन के लिए काल साबित होगी अटल टनल

रोहतांग टनल जिसे अब अटल टनल का नाम दिया गया है. इसकी परिकल्पना इंदिरा गांधी के समय में भी की गई थी. जून 2010 को सोनिया गांधी ने विधिवत शिलान्यास कर रोहतांग टनल के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन इस पर काम ने केंद्र सरकार के कार्यकाल में गति पकड़ी. इस टनल का सामरिक महत्व क्या है और यह भारतीय सेना के लिए किस तरह लाइफ लाइन साबित होगी इस मसले पर ईटीवी भारत ने सेना से रिटायर रिटायर्ड कर्नल इंद्र सिंह से खास बातचीत की.

himachal pradesh news, हिमाचल प्रदेश न्यूज
फोटो.

By

Published : Jul 2, 2020, 5:38 PM IST

शिमला: चीन के साथ जारी सीमा विवाद और सरहद पर तनाव के बीच भारतीय सेना के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर बन रही अटल टनल का निर्माण करीब-करीब पूरा हो चुका है. टनल निर्माण की समीक्षा करने पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सितंबर महीने में अटल टनल देश को समर्पित कर दी जाएगी.

बता दें कि टनल के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचल आने की भी संभावना है. साल भर बर्फ से ढके रहने वाले लाहौल स्पीति के जनजातीय इलाके रोहतांग में अटल टनल बनने से सारा साल आवाजाही सुनिश्चित होगी. वहीं, भारतीय सेना को सीमा पर पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी होगी.

वीडियो.

लेह लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के लिए अटल टनल बहुत बड़ा वरदान साबित होगी. अटल टनल पीर पंजाल की पहाड़ियों को काटकर बनाई गई है. इस चैनल के नीचे से एक और टनल बनाई गई है. इमरजेंसी में इसे प्रयोग किया जाएगा. टनल पूरा होने के बाद भारतीय सेना की मूवमेंट आसान हो जाएगी और उसे सामरिक रूप से भी बहुत लाभ होगा.

पड़ोसी देश चीन की सेना को नाकों चने चबाने के लिए भारतीय सेना की ताकत में और मजबूती आएगी. टनल का निर्माण 4000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि से हुआ है और इसी साल इसका लोकार्पण कर दिया जाएगा. जो सपना 3 जून 2002 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देखा था वह सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूरा होगा.

रोहतांग टनल जिसे अब अटल टनल का नाम दिया गया

हालांकि रोहतांग टनल जिसे अब अटल टनल का नाम दिया गया है. इसकी परिकल्पना इंदिरा गांधी के समय में भी की गई थी. जून 2010 को सोनिया गांधी ने विधिवत शिलान्यास कर रोहतांग टनल के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन इस पर काम ने नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में गति पकड़ी इस टनल का सामरिक महत्व क्या है और यह भारतीय सेना के लिए किस तरह लाइफ लाइन साबित होगी इस मसले पर ईटीवी भारत ने सेना से रिटायर रिटायर्ड कर्नल इंद्र सिंह से खास बातचीत की.

कर्नल इंदर सिंह हिमाचल भाजपा के नेता हैं और मंडी के सरकाघाट सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. कर्नल इंदर सिंह ने भारतीय सेना में विभिन्न मोर्चों पर अपनी सेवाएं दी हैं. उनके अनुसार अटल टनल के शुरू हो जाने के बाद भारत की सेना चीन बॉर्डर तक आसानी से पहुंच सकेगी. साथ ही लेह रिजन के लिए सेना की पहुंच और आसान हो जाएगी. इससे सेना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने से बच जाएगी और किसी भी मौसम में आसानी से चीन बॉर्डर तक पहुंचा जा सकेगा.

पहले जहां लेह बॉर्डर पर भारी मात्रा में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सामान जमा करना पड़ता था. सर्दियों के दिनों में लेह बॉर्डर पर सामान पहुंचाने और आर्मी को जाने के लिए श्रीनगर एयरपोर्ट से कारगिल होते हुए लेह पहुंचना पड़ता था. इससे सरकार पर भी भारी खर्च पड़ता था, लेकिन अब इस टनल के निर्माण के बाद अब इसकी जरूरत भी खत्म हो जायेगी.

कर्नल इंदर सिंह ने कहा कि बॉर्डर पर चाइना की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर काफी ध्यान दिया गया है और बॉर्डर के साथ लगते क्षेत्रों में बेहतरीन सड़क निर्माण किया गया है, ताकि हेवी मशीनरी और सैनिकों के लिए यातायात आसान और सुचारू हो सके. इसके अलावा प्राकृतिक रूप से भी चाइना बॉर्डर पर तिब्बत का पठार पड़ता है जो कि सीधा और सपाट है ऐसे में वहां सड़के निर्माण और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए अधिक मेहनत और खर्च नहीं करना पड़ता है, लेकिन दूसरी तरफ भारत में बॉर्डर पर ऊंची और कठोर पहाड़ हैं. अगर हमें चाइना बॉर्डर तक सड़क निकालनी हो तो हमें कई पहाड़ों को चीर कर बॉर्डर तक पहुंचना पड़ता है.

पढ़ें-ग्रामीणों ने की युवक की पिटाई, 2 साल की बच्ची को किडनैप करने का आरोप

कर्नल इंदर सिंह ने कहा कि ऐसे में इसके लिए भारी समय और खर्च उठाना पड़ता है इसके अलावा पहले के दिनों में भारत में रही सरकारों का दृष्टिकोण भी चाइना बॉर्डर को लेकर नकारात्मक रहा है. जिसके कारण वहां ना सड़क निर्माण पर अधिक ध्यान दिया गया और ना ही इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद वहां इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान दिया गया. जिसके कारण आज चाइना बॉर्डर तक बेहतरीन सड़कों का निर्माण किया जा सका है और उसी का नतीजा है कि अटल टनल का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है.

भारतीय सैनिकों को पूरी छूट

कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण का अभी बॉर्डर पर तैनात सैनिकों पर असर पड़ता है. यदि देश के नेताओं की तरफ से स्पष्ट संदेश सैनिकों और प्रशासन को हो तो सैनिक पूरे हौसले के साथ दुश्मनों का सामना करता है. जिसके लिए वर्तमान सरकार की जितनी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना केवल चीन के साथ लगती सीमा पर बल्कि श्रीनगर और देश के अन्य क्षेत्रों में भी सैनिकों को पूरी छूट दे रखी है.

वहीं, बॉर्डर पर तैनात सैनिक हालात के अनुसार निर्णय ले सकते हैं. चीन बॉर्डर पर भी जहां 2 किलोमीटर के क्षेत्र में हथियार नहीं ले जाने और गोली नहीं चलाने पर भारत ने चीन के साथ समझौता किया था वहां पर भी अब भारत सरकार ने सैनिकों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आवश्यकता पड़ने पर बंदूक का प्रयोग भी किया जाए.

ये भी पढ़ें-हिमाचल में जल्द खुल सकता है टूरिज्म सेक्टर, सीएम ने दिए SOP तैयार करने के निर्देश

ABOUT THE AUTHOR

...view details