शिमला: प्रदेश के विख्यात मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती का कहना है कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ जागरुकता और सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है. प्रदेश में एक महीने से कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मौत की दर भी बढ़ी है.
ये बेशक चिंता की बात है, परंतु सतर्कता रखने से नुकसान को कम किया जा सकता है. डॉ. भारती ने बताया कि कोरोना से डरने नहीं, सजग रहने की जरूरत है. कोरोना के खिलाफ पहला हथियार मास्क ही है. इस समय डबल लेयर मास्क की जरूरत है. मास्क एक बैरियर है और ये कोरोना के वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है, लेकिन इसे सही तरीके से लगाना सीखना चाहिए. कई लोग मास्क को ठुड्डी में लटका कर रखते हैं. ये सही नहीं है.
मास्क को प्रॉपर तरीके से लगाएं और नाक सहित ये मुंह को कवर करें. कपड़े के मास्क को धो कर यूज किया जा सकता है, लेकिन एक ही मास्क बार-बार यूज न करें. मास्क सही से न लगाया जाए तो ये म्यूटेट वायरस घातक साबित होगा. मास्क में डबल लेयर जरूरी है. गलत मास्क लगाने से वायरल लोड शरीर में प्रवेश करता है. मास्क गीला हो जाए तो री-यूज न करें. अगर सही से लगाएं को मास्क वायरस को रोक देगा और गलत तरीके से लगाएं तो मास्क भीतर जाएगा.
यहां समझें कोरोना के लक्षण और बचाव के तरीके
किसी को कोरोना हुआ है या नहीं, इसके लिए माइल्ड और फिर सीवियर सिम्पटम्स समझने जरूरी हैं. डॉ. भारती ने बताया कि प्राथमिक लक्षण बुखार है. फिर खांसी और सांस लेने में दिक्कत है. कोरोना के शुरुआती लक्षण नजर आएं तो खुद को होम आइसोलेट करें. यदि कोई व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आता है तो अगले चार दिन में संक्रमण के लक्षण आ सकते हैं.
87 फीसदी लोगों में प्राथमिक लक्षण बुखार
कई बार लक्षण नजर आएंगे कई बार नहीं आएंगे. यदि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद बुखार आए तो सावधान होना चाहिए. कुल 87 फीसदी लोगों में प्राथमिक लक्षण बुखार है. कई लोगों को फीवर नहीं आएगा. दूसरा लक्षण सांस है. नार्मल व्यक्ति की सांस की गति एक मिनट में 16 से 18 है. यदि बोलने पर सांस फूले तो सावधान हो जाएं. सेचुरेशन सामान्य व्यक्ति में 96 से 98 होती है. यदि कोई धूम्रपान करता है तो ये सेचुरेशन कम हो सकती है. पल्स ऑक्सीमीटर प्रयोग करते समय भी सावधानी रखनी चाहिए. हाथ धोकर उन्हें सुखा लें. कोई क्रीम आदि हाथ में न लगी हो. तब सेचुरेशन मापें.
सफाई का ध्यान रखें होम आइसोलेशन वाले
होम आइसोलेशन में रहने वालों को सफाई का ध्यान रखना चाहिए. मुंह व जीभ साफ रखें. बिटाडीन के साथ गर्म पानी में नमक आदि के गरारे करना भी लाभदायक है. होम आइसोलेशन में रहने वालों को बुखार व खांसी पर पैनी नजर रखनी चाहिए. तीसरे या चौथे दिन बुखार आ सकता है. पांचवें से सातवें दिन खांसी हो सकती है. गले में खराश, उल्टी-दस्त, शरीर टूटना, सिर में दर्द भी हो सकता है. स्थिति पांच से नौ दिन में गंभीर हो सकती है. इस पीरियड में ख्याल रखें.
यदि सिर्फ बुखार है को घबराएं न, लेकिन खांसी भी हो और छाती में जकड़न महसूस होने लगे तब सतर्क हो जाएं. सैचुरेशन यदि छह मिनट की वॉक के बाद भी 90 से नीचे गिर जाए और अचेतावस्था होने लगे तो डॉक्टरी परामर्श की जरूरत है.