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अश्विनी कुमार का DGP से कुलपति का सफर, पुलिस महकमे से आम आदमी तक प्रेरणादायक

नाहन में 15 नवंबर 1950 को जन्मे अश्विनी कुमार साल1973 बैच के IPS ऑफिसर थे. पुलिस विभाग के अलावा उन्होंने अन्य प्रतिष्ठित ओहदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल के डीजीपी रहे. इसके साथ ही सीबीआई और एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. रिटायरमेंट के बाद वह नागालैंड के राज्यपाल बनाए गए, जिस पर उस समय काफी विवाद भी हुआ था. हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

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Published : Oct 9, 2020, 3:03 PM IST

शिमला: पूर्व डीजीपी अश्विनी कुमार का गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ संजौली के मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार किया गया. हिमाचल पुलिस विभाग ने अपने पूर्व मुखिया को प्रोटोकॉल के तहत अंतिम विदाई दी. तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर काफी देर तक अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान नेताओं से लेकर पुलिस अधिकारियों और परिवार के लोगों ने नम आंखों से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की.

कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए पूर्व डीजीपी का अंतिम संस्कार किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए. गुरुवार सुबह आईजीएमसी शिमला में पोस्टमार्टम के बाद अश्विनी कुमार के शव को अंतिम संस्कार के लिए संजौली के मोक्षधाम लाया गया. यहां उनके बेटे ने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि दी.

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डीजीपी संजय कुंडू ने इस अवसर पर कहा कि पुलिस विभाग के लिए ये बुहत दुख के पल हैं. पुलिस अधिकारी से लेकर एकेडमिक तक उनकी सेवाओं को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अश्विनी कुमार की मौत को दुखद बताते हुए कहा कि वह सभी पुलिस ऑफिसर के लिए मिसाल थे. हिमाचल का बड़ा नाम आज हमारे बीच नहीं रहा.

सिरमौर के नाहन में 15 नवंबर 1950 को जन्मे अश्विनी कुमार साल 1973 बैच के IPS ऑफिसर थे. पुलिस विभाग के अलावा उन्होंने अन्य प्रतिष्ठित ओहदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल के डीजीपी रहे. इसके साथ ही सीबीआई और एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे.

राजीव गांधी की सुरक्षा में भी अश्विनी कुमार तैनात थे. मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. रिटायरमेंट के बाद वह नागालैंड के राज्यपाल बनाए गए, जिस पर उस समय काफी विवाद भी हुआ था. हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे. उन्होंने कई विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

अपने जीवनकाल में इतने आयाम हासिल करने वाले बहुत कम लोग हैं. अश्विनी कुमार लंबे समय से पार्किंसंस नामक रोग से परेशान थे. इसके चलते उन्होंने बीते बुधवार को शिमला में अपने निवास स्थल पर रस्सी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. उनके इस कदम से हर कोई स्तब्ध है. डीजीपी संजय कुंडू ने उनके शव के पास मिले सुसाइड नोट की पुष्टि करते हुए जानकारी सार्वजनिक की.

अश्विनी कुमार की जीवन यात्रा पुलिस महकमे से लेकर आम लोगों के लिए एक मिसाल है. तेज तर्रार पुलिस ऑफिसर से लेकर उन्होंने सीबीआई निदेशक, गर्वनर और फिर यूनिवर्सिटी के कुलपति की जिम्मेदारी बखूबी निभाई. उनकी आत्महत्या से हिमाचल प्रदेश समेत देश के अन्य गणमान्य लोग स्तब्ध हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनकी मौत पर दुख प्रकट किया. इसके साथ ही उनका जीवन लोगों के प्रेरणादायक भी है.

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