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कुल्लू की सोयल पंचायत और मंडी का कमरुनाग जैव विविधता विरासत स्थल में हो सकते हैं शामिल - Kamrunag mandi district

प्रदेश की कुल्लू की सोयल पंचायत और मंडी की कमरुनाग झील जैव विविधता विरासत स्थल में शामिल हो सकते हैं. भारत में अभी तक मात्र 11 ही जैव विविधता विरासत स्थल है. यदि प्रदेश के यह दो स्थान भी जैव विविधता विरासत स्थल में शामिल होते हैं तो इनकी संख्या का 13 हो जाएगी. वहीं, प्रदेश के लिए भी यह गौरव की बात होगी.

Biodiversity Heritage Site
मंडी का कमरुनाग.

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Published : Jul 16, 2020, 10:53 PM IST

शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने कुल्लू की सोयल पंचायत और मंडी की कमरुनाग झील दोनों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इन दोनों ही स्थानों में अद्वितीय ओर दुर्लभ जैव विविधता विरासत है. जिसके चलते यह दोनों ही स्थल जैव विविधता विरासत में शामिल हो सकते है. स्टेट नेशनल बायोडाइवर्सिटी ऑथोरिटी उसके निर्देशों के अनुसार ही इन दोनों स्थानों के अध्ययन किया गया यहां के लोगों के साथ एक बैठक भी की गई, जिसमें वन विभाग के अधिकारी, पटवारी के साथ ही प्रधान भी उपस्थित थे.

राज्य जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बताया बैठक में कमरुनाग को जैव विविधता विरासत स्थल बनाने के बारे में बात की गई. पंचायत से रेजुलेशन पास करवाने को कहा गया. जिसके बाद पहले चरण में ढाई लाख रुपए की राशि जारी की जाएगी. इसके बाद जब यह स्थल जैव विविधता विरासत घोषित होती है तो यहां आगे का काम शुरू किया जाएगा .राज्य जैव एचपी स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड ने अद्वितीय और दुर्लभ जैव विविधता वाले स्थलों की घोषणा की प्रक्रिया को जैव विविधता विरासत स्थल (बीएचएस) के रूप में शुरू किया.

वीडियो रिपोर्ट.

जैव विविधता महत्व के इन स्थलों / क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत अधिनियम के रूप में घोषित किया जाएगा, जो कि राज्य सरकार स्थानीय निकाय के परामर्श से जैव विविधता विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 के तहत उन्हें राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा. ये BHS अक्सर प्रकृति, संस्कृति, समाज और प्रौद्योगिकियों के बीच एक सकारात्मक इंटरफेस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि संरक्षण और आजीविका सुरक्षा दोनों हैं या हासिल की जा सकती हैं, और जंगली और पालतू जैव विविधता के बीच सकारात्मक संबंध बढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि अब देश मे 11 ही जैव विरासत स्थल है.

राज्य में कई अनूठे क्षेत्रों के संरक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, एचपी स्टेट बायोडायवर्सिटी ने ग्राम पंचायत सोयल, कुल्लू में अपनी पहली बैठक आयोजित करके अपना पहला कदम शुरू किया. सोयल गांव में जमदग्नि मंदिर की परिधि पर 800 से 1000 साल पुराने देवदार वन की घोषणा के लिए प्रबंधन योजना तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया था. एक बार बीएचएस के रूप में घोषित होने के बाद, जैव विविधता विरासत प्रबंधन समिति क्षेत्र में पाए जाने वाले अद्वितीय पौधों को संरक्षण प्रदान करेगी.

इसके अलावा मंडी जिला के कांधी-कामरू पंचायत में प्रसिद्ध कामरू नाग झील और आसपास के क्षेत्र को बीएचएस घोषित करने के लिए बैठक आयोजित की गई. बता दें कुल्लू की सोयल पंचायत और मंडी का कमरुनाग जैव विविधता विरासत स्थल में शामिल होते है तो इन स्थानों के संरक्षण के साथ ही राष्टीय स्तर पर पर्यटन की दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र होगी.

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