शिमलाः जिला सोलन के मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री मामले में एक पीड़ित महिला ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा खुलासा किया है. फर्जी डिग्री मामले की पीड़िता हरियाणा निवासी ने बताया कि मानव भारती विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री का गोरख धंधा चल रहा है.
पीड़ित महिला ने सोलन में मानव भारती विश्वविद्यालय पर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि फर्जी डिग्री को बेचने के साथ वास्तविक डिग्री को फर्जी बता कर पैसे ऐंठे जा रहे थे.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमडीयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष चौधरी सम्पूर्ण सिंह भी मौजूद रहे और उन्होंने बताया कि कि पीड़ित ममता ने मानव भारती विवि से मनोविज्ञान में एमए किया और उसे डिग्री दी गई, लेकिन एक षड्यंत्र के तहत विवि ने उसी डिग्री को फर्जी करार दिया और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी. इस वजह से हरियाणा में पीड़ित महिला ममता की रोजगार अधिकारी के पद से हाथ धोना पड़ा.
फर्जी डिग्री मामले की पीड़िता की आपबीती
एमडीयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष चौधरी सम्पूर्ण सिंह ने बताया कि पीड़िता ने 2009 में 50 हजार रुपये फीस देकर मानव भारती विवि से एमए मनोविज्ञान में दाखिला लिया. मानव भारती विवि ने करनाल में स्थित स्टडी सेंटर में इसकी कक्षा ली और 2011 में एमए पास किया.
2012 में निजी विवि के बताए गए पते पर 250 रुपये बैंक ड्राफ्ट भेजा और अपनी डिग्री की वेरिफिकेशन करवाई और निजी विवि ने उसकी डिग्री वेरिफाई किया. 2014 में महिला की हरियाणा में रोजगार अधिकारी के पद पर चयन हुआ.
2018 में उसके नंदोई और उसके छोटे भाई जगदीप ने उसे डराना धमकाना शुरू किया और निजी विवि से मिलकर 22 छात्रों की डिग्री फर्जी होने का पत्र जारी करवा दिया. 22 में से सिर्फ पीड़िता के खिलाफ धर्मपुर थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी. हरियाणा रोजगार विभाग ने पंचकुला में ममता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई ओर उसे सस्पेंड कर दिया.
पीड़िता ने बताया कि सारे मामले को डीजी एसआर मरडी से भी उठाया. डीजी ने एसआईटी गठित कर रातों रात विवि में रेड कर लगभग 1375 खाली डिग्री और बिना जांची उत्तर पुस्तिका बरामद की. विवि के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की. अब पीड़ित महिला ने मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश से करवाने की मांग की है.
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