शिमला: देश के मैदानी इलाकों में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच हिमाचल से एक अच्छी खबर है. देवभूमि की चार नदियों के बेसिन पर स्नो कवर एरिया में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. सतलुज, चिनाब, ब्यास व रावी नदी बेसिन पर स्नो कवर एरिया 26 फीसदी से अधिक बढ़ा है. स्नो कवर एरिया बढ़कर 122246 वर्ग किलोमीटर से अधिक बढ़ा है.
बता दें कि वर्ष 2018-19 के दौरान ये रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी है. इससे पहले 2017-18 में ये एरिया 97672 वर्ग किलोमीटर था. खुशी की बात है कि विगत आठ साल के दौरान अबकी दफा स्नो कवर एरिया में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है. स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद व स्टेट कॉउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉउंसिल के सहयोग से हिमाचल प्रदेश स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिस की तरफ से सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से हुए सर्वे में ये तथ्य सामने आए हैं.
स्नो कवर एरिया में बढ़ोतरी से हिमाचल सहित दक्षिण एशिया देशों को राहत मिलेगी. दक्षिण एशिया के देशों को भविष्य में हिमाचल के हिमालयी रीजन में ग्लेशियर पिघलने के कारण सागर में समा जाने का भय है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण विगत 15 साल में हिमाचल प्रदेश के चारों प्रमुख नदियों के बेसिन पर ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इनके पिघलने से पूरी दुनिया चिंता में है, लेकिन हिमाचल में इस बार की सर्दियों में हुई रिकॉर्डतोड़ बर्फबारी के बाद ग्लेशियरों की सेहत सुधरी है.
स्नो कवर एरिया में बढ़ोतरी से नदियों में पानी की कमी नहीं होगी. इससे पर्यावरण संतुलन बना रहेगा. पहाड़ों पर बर्फ होगी तो पानी की कमी नहीं रहेगी. कृषि के लिए भी ये अच्छी खबर है. स्पेस एप्लीकेशन सेंटर सहित अन्य संबद्ध संस्थाओं ने हिमाचल की चार प्रमुख नदियों चिनाब, ब्यास, सतलुज व रावी बेसिन के अलावा भागा, चंद्रा, मियाड़, जीवा, स्पीति, पिन, ब्यास, पार्वती, रावी, बास्पा नदियों में भी सर्वे किया. पाया गया कि इनका स्नो कवर एरिया भी बढ़ा है.
चिनाब बेसिन पर 2017-18 की तुलना में अक्टूबर 2018 में 183.2 फीसदी बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई. फिर नवंबर में ये बढ़ोतरी 45.1 फीसदी, दिसंबर 2018 में 17.4 फीसदी, जनवरी 2019 में 4.2 फीसदी, फरवरी में 7.2 फीसदी और मार्च 2019 में 5.3 प्रतिशत स्नो कवर एरिया बढ़ा है.
इसी तरह रावी नदी के बेसिन पर अक्टूबर 2018 में 411.2 फीसदी, नवंबर में 93 फीसदी, जनवरी 2019 में 38.3 फीसदी, फरवरी में 96.1 फीसदी और मार्च 2019 में 51.2 फीसदी स्नो कवर बढ़ा. सिर्फ दिसंबर 2018 में इसमें 11.4 फीसदी की कमी हुई. ब्यास व सतलुज पर भी बढ़ोतरी की गति ऐसी ही रही. अक्टूबर में सबसे अधिक एरिया बढ़ा है.
हिमाचल प्रदेश स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिस के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. सुरजीत सिंह रंधावा के अनुसार स्नो कवर एरिया बढ़ना बेहद अच्छा है. इससे ग्लेशियरों का आकार भी बढ़ेगा. नदियों में पानी का डिस्चार्ज अच्छा होगा.
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