शिमला:हिमाचलप्रदेश से दुर्लभ जड़ी बूटियों और वन्य जीवों को मारकर उनकी तस्करी करने वालों पर नकेल कसने के लिए अब ग्रामीणों और पंचायती राज संस्थाओं की मदद ली जाएगी. इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है. योजना के तहत वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) की ओर से पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि दिल्ली और मुबंई में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के स्थानीय शिकारियों व तस्करों के साथ किस तरह के संपर्क हैं.
इस बारे में आने वाले दिनों में यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल ग्रेट नेशनल हिमालयन पार्क में ब्यूरो की टीम की ओर से पंचायती राजप्रतिनिधियों व अन्य लोगों से बात की जाएगी. इसके अलावा ब्यूरो की ओर से प्रदेश के बाकी लैंडस्कैप में जाकर भी लोगों से बातचीत की जाएगी और उन्हें जागरूक किया जाएगा.
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेंदुए, बर्फानी तेंदुए, भालू और अन्य जंगली जीवों के अंगों की ही तस्करी नहीं हो रही बल्कि हिमालयन क्षेत्र में बहुत सी ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती है, जिनकी बड़ी पैमाने पर तस्करी होती है. हालांकि ब्यूरो इस पर निगाह रखता है, लेकिन हिमाचल समेत उत्तर भारत में स्थानीय स्तर पर लोगों के अंतराष्ट्रीय स्तर के तस्करों के साथ किस तरह के तार जुड़े है उन्हें भेदना जरूरी है.
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