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अब बिना मंजूरी के लग सकेंगे उद्योग, राज्यपाल ने दी अध्यादेश को मंजूरी

हिमाचल में राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट मिलेगी. इसके तहत सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है.

अब बिना मंजूरी के लग सकेंगे उद्योग, राज्यपाल दी अध्यादेश को मंजूरी

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Published : Nov 6, 2019, 1:35 PM IST

शिमला: ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से एक दिन पहले राज्यपाल ने प्रदेश सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. अब हिमाचल में राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट मिलेगी. इसके तहत सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार से बिना मंजूरी और एनओसी के बिना छोटे उद्योग लगा सकेंगे. साथ ही बड़े उद्योग लगाने में भी छूट मिलेगी. इस अध्यादेश के कानून बनने से इन आठ कानूनों में एनओसी नहीं लेना पड़ेगा.

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इन आठ कानूनों में नहीं लेना पड़ेगा एनओसी

  • हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट-1994
  • हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1994
  • हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट-1994
  • हिमाचल प्रदेश फायर फाइटिंग सर्विसेज एक्ट-1984
  • हिमाचल प्रदेश रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1968
  • हिमाचल प्रदेश शॉप्स एंड कॉर्शियल एस्टेबलिशमेंट एक्ट-1969
  • हिमाचल प्रदेश सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006
  • हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट 1977

निवेशकों के लिए यह छूट तीन साल रहेगी. उद्योग जब स्थापित होकर अपना उत्पादन शुरू कर देंगे तब उन्हें एनओसी और अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी. इसी तरह वहन योग्य आवासीय नीति-2019 को भी मंत्रिमण्डल ने स्वीकृति प्रदान की. इसका प्रमुख उद्देश्य शहरी गरीबों के पुनर्वास और सभी नई आवासीय परियोजनाओं में मिश्रित आवासीय विकास को प्रोत्साहित करना है.

हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भू-सुधार नियमों के नियम 38 (ए)(3)(एफ) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक गैर कृषकों को राज्य में भूमि खरीदने के उद्देश्य से अनिवार्यता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पर्यटन विभाग के संशोधित मापदंडों को स्वीकृति प्रदान की गई. इच्छुक निवेशक को अपनी पर्यटन परियोजना की प्रारम्भिक परियोजना रिपोर्ट पर्यटन विभाग के निदेशक को सौंपनी होगी, जिसके लिए वह अनिवार्यता प्रमाण पत्र चाहता है. विभागीय निदेशक संबंधित पर्यटन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का आकलन करेंगे.

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