शिमलाः कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच आज देश भर में लॉकडाउन जैसे हालात हैं. संक्रमण के आंकड़ों पर काबू पाने के लिए हिमाचल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. कर्फ्यू की बंदिशों के चलते प्रदेश भर में आगामी आदेशों तक बस संचालन पर भी रोक लगाया गया है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बस अड्डे पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. कमोबेश यही हाल शिमला रेलवे स्टेशन का है.
प्रदेश में केवल जरुरी सेवाओं से जुड़े लोगों को आवाजाही की इजाजत दी गई है. लॉकडाउन के बीच आम लोगों की आवाजाही न होने से टैक्सी संचालकों को भी भारी नुकसान हो रहा है. साल 2020 में कोरोना वायरस की पहली लहर के समय से ही टैक्सी कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. शिमला के टैक्सी संचालकों के लिए गाड़ी की ईएमआई भरना भी मुश्किल हो गया है.
रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा
राजधानी शिमला के रेलवे स्टेशन की बात की जाए तो यहां सामान्य दिनों में रेलगाड़ी पर्यटकों से भरी रहती थी और पर्यटकों की आमद से जगह-जगह रौनक नजर आती थी. लेकिन कोरोना वायरस के असर कोरोबार पर इस कदर पड़ा कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाले रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ नजर आता है. स्टेशन अधीक्षक जोगेंदर सिंह कहते हैं कि आम दिनों की तुलना में पर्यटकों और आम लोगों की आमद सौ फीसदी से घटकर 30 से 35 फीसदी पहुंच गई है.
टैक्सी संचालकों के लिए परिवार चलाना मुश्किल
शिमला के पुराना बस अड्डे पर टैक्सी यूनियन के प्रधान राजेंद्र कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की ओर से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सरकार केवल मजदूर वर्ग को ही राहत देने का काम कर रही है. उन जैसे लोग जो मध्यम वर्ग से संबंध रखने वालों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कोई भी काम नहीं किया जा रहा है. पहली लहर के समय केंद्रीय वित्त मंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन उस राहत पैकेज का एक भी पैसा टैक्सी संचालकों के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया. टैक्सी संचालकों के लिए घर परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हुआ है. बच्चों की फीस से लेकर मकान का किराया और रोजाना के खर्चे पूरा करना भी संचालकों के लिए मुश्किल हो रहा है.