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सेब के लिए वरदान बनी सिराना मधुमक्खी, रोहड़ू में हो रही ब्रीड तैयार - सेब के पौधों में पॉलिनेशन

हिमाचल के बागवान हर साल सेब के पौधों में पॉलिनेशन के लिए हरियाणा और राजस्थान से मधुमक्खियों के बॉक्स लाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार मधुमक्खियों की सप्लाई नहीं हो पाई है. ऐसे में रोहड़ू के युवक सन्नी सिराना प्रजाति की मधुमक्खियों की ब्रीड तैयार करना शुरू कर दी है.

डिजाइन फोटो
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Published : Apr 9, 2020, 8:30 PM IST

रोहड़ू:कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन का असर हिमाचल के किसानों से लेकर बागवानों तक दिख रहा है. मधुमक्खी पालन भी लॉकडाउन से अछूता नहीं रहा. लॉकडाउन की वजह से इस बार मैदानी इलाकों से मधुमक्खियों की सप्लाई नहीं हो पाई है. ऐसे में बागवानों को सेब की फसल की चिंता सताने लगी है.

मधुमक्खी पालन और सेब एक दूसरे के पूरक हैं. मार्च से अप्रैल महीने तक सेब के पौधों में फ्लावरिंग होती है. यही समय होता है जब मधुमक्खियां सेब के फूलों से रस चूसकर शहद बनाती हैं. बागवानों को इसके दो फायदे होते हैं एक तो उन्हें घर में बना शुद्ध शहद मिल जाता है. वहीं, सेब के पौधों पर फ्लावारिंग के समय जब मधुमक्खियां बैठती हैं तो पॉलिनेशन (पराग कण) होने से सेब की पैदावार अच्छी होती है.

स्पेशल रिपोर्ट

हिमाचल के बागवान हर साल सेब के पौधों में पॉलिनेशन के लिए हरियाणा और राजस्थान से मधुमक्खियों के बॉक्स लाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार मधुमक्खियों की सप्लाई नहीं हो पाई है. ऐसे में रोहड़ू के युवक सन्नी सिराना प्रजाति की मधुमक्खियों की ब्रीड तैयार करना शुरू कर दी है.

सिराना प्रजाति की मधुमक्खी पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसका शहद विदेशी मधुमक्खियों से क्वालीटी में बेहतर होता है. युवक अब तक सिराना प्रजाति की मधुमक्खी के 70 बॉक्स तैयार कर चुका है.

बागवानों में अब सिराना प्रजाति की मधुमक्खियों के बॉक्स की मांग बढ़ने लगी है. शिमला समेत कुल्लू और मंडी के बागवान भी सेब के बगीचों में पॉलिनेशन के लिए इस प्रजाति की मधुमक्खियों की मांग करने लगे हैं. ऐसे में मधुमक्खी पालन से जहां युवाओं को रोजगार मिलेगा. वहीं, सेब की पैदावार में बढ़ोतरी होगी.

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