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बीजेपी के मनोनीत पार्षद पर झूठा शपथ पत्र देने के आरोप, कांग्रेस ने पद से हटाने की उठाई मांग

शिमला शहरी कांग्रेस के अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी ने शिमला में पत्रकार वार्ता में मनोनीत भाजपा के पार्षद के खिलाफ अवैध कब्जा करने के मामले में सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग उठाई. शिमला नगर निगम में बीजेपी पार्षद पर अवैध कब्जे के आरोप साबित होने के बाद भी पद से न हटाने पर कांग्रेस भड़क गई है. शिमला शहरी कांग्रेस ने कहा कि आखिर किसके दवाब में उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है और मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है या 10 दिन के भीतर उक्त पार्षद को पद से नहीं हटाया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

Shimla Urban Congress demands BJP councilor's removal from the post in a press conference
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Published : Apr 1, 2021, 5:24 PM IST

शिमला: नगर निगमल शिमला में बीजेपी पार्षद पर अवैध कब्जे के आरोप साबित होने के बाद भी पद से न हटाने पर कांग्रेस भड़क गई है. कांग्रेस ने चेतावनी देते हुए कहा कि पार्षद को 10 दिन के अंदर नहीं हटाया गया तो इस मामले पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के साथ धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

शिमला शहरी कांग्रेस के अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर मनोनीत भाजपा के पार्षद के खिलाफ अवैध कब्जा करने के मामले में सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग उठाई. इस पार्षद के खिलाफ शिकायत के मामले में शहरी विकास विभाग की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में पार्षद को अयोग्य पाया है. बावजूद इसके उन्हें अभी तक पद से नहीं हटाया गया.

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कांग्रेस के 2 उम्मीदवारों को अयोग्य दिया गया था करार

चौधरी ने कहा कि एक तरफ अवैध कब्जा होने के चलते पालमपुर नगर निगम में कांग्रेस के 2 उम्मीदवारों को अयोग्य करार दिया गया था और उन्हें चुनाव नहीं लड़ने दिया जा रहा है. वहीं, शिमला में नगर निगम में सरकार ने ऐसे व्यक्ति को पार्षद मनोनीत कर दिया, जिसने नगर निगम की ही भूमि पर कब्जा किया हुआ था और शिकायत के बाद कमेटी ने उसे अयोग्य करार दिया और 5 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें पद से नहीं हटाया जा रहा है. आखिर किसके दवाब में उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है और मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री को भी लिखा था पत्र

वहीं, आरोपी पार्षद के चाचा राकेश सूद ने कहा कि संजय सूद ने 2017 में अवैध कब्जा किया है और जब नगर निगम में पार्षद मनोनीत हुए तो उन्होंने झूठे शपथ पत्र दिया और अवैध कब्जे की जानकारी छुपाई गई. इसको लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था और नॉमिनेशन खरिज करने की मांग की गई थी जिसके बाद कमेटी का गठन किया गया और उसमें अयोग्य करार दिया गया, लेकिन 5 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें नहीं हटाया गया है.

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