शिमला: पर्यटन नगरी व हिल्स क्वीन कहे जाने वाले शिमला को स्वच्छता में पहले 100 में भी जगह नहीं मिल पाई है. इस बार शिमला को 128वां स्थान मिला है, जबकि बीते साल यह 144वे नंबर पर था.भारतसरकार द्वारा करवाए गएसर्वेक्षणमेंनगरनिगमशिमलाकोस्वच्छताकेक्षेत्रमेंपूरीतरहसेपिछड़गयाहै.
पिछली बार नगर निगम केंद्र की स्वच्छता रैकिंग में 144वां स्थान मिला था. वजह यह थी कि नगर निगम शहर में गीले और सूखे कचरे के प्रबंधन के लिए सेग्रिगेशन व्यवस्था को शुरू नहीं कर पाया था.इस बार आयुक्तने खासतौर पर शहर में सेग्रिगेशन व्यवस्था को शुरू करवाया. इसमें नगर निगम को एक हजार अंक दिए जाने थे, लेकिन यह अंक नगर निगम को मिले ही नहीं. केंद्र की टीम ने जब नगर निगम शिमला का सर्वेक्षण कियातोस्वच्छता सर्वेक्षण-2019 के लिए देश के सबसे स्वच्छ शहरों के नाम का ऐलान बुधवार को राष्ट्रपति भवन में हुआ. इस सर्वे में इंदौर लगातार तीसरी बार अव्वल रहा है. सबसे स्वच्छ राजधानियों में भोपाल पहले स्थान पर है. 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में अहमदाबाद और पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों में उज्जैन ने बाजी मारी है.मंत्रालय के मुताबिक, स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में 4237 शहरों का सर्वेक्षण 28 दिनों में किया गया. इस दौरान विभिन्न टीमों ने 64 लाख लोगों का फीडबैक लिया. साथ ही, सोशल मीडिया के माध्यम से इन शहरों के 4 करोड़ लोगों से फीडबैक लिया गया. टीम ने इन शहरों के 41 लाख फोटोग्राफ्स कलेक्ट लिए. सर्वेक्षण में शामिल शहरों की तरफ से स्वच्छता के संदर्भ में 4.5 लाख डॉक्यूमेंट्स अपलोड किए गए.इंदौर इन वजहों से तीसरी बार भी पहले स्थान पर2014 तक इंदौर देश में सफाई के मामले में 149वें नंबर पर था, लेकिन अब स्वच्छता का ब्रांड बन चुका है. देश में नंबर-1 बनने के बाद देश के 300 शहरों के प्रतिनिधियोंकी टीम ने इंदौर शहर की सफाई व्यवस्था कोदेख चुके हैं. 100 से ज्यादा नगरीय निकायों ने इंदौर की केस स्टडी भी बुलवाई. इसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर चेन्नई, पूणे, बेंगलुरु, जयपुर शामिल हैं.ये है इंदौर शहर की खासियतदेश का पहला ऐसा शहर, जिसने ट्रेंचिंग ग्राउंड को पूरी तरह खत्म कर वहां नए प्रयोग शुरू किए.100% कचरे की प्रोसेसिंग और बिल्डिंग मटेरियल और व्यर्थ निर्माण सामग्री का कलेक्शन और निपटान.कचरा गाड़ियों की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस, कंट्रोल रूम और 19 जोन की अलग-अलग 19 स्क्रीन.29 हजार से ज्यादा घरों में गीले कचरे से होम कम्पोस्टिंग का काम.देश की पहली डिस्पोजल फ्री मार्केट. इसमें हाल ही में 56 दुकान क्षेत्र को शामिल किया है.सर्वेक्षण 2019 से पहले राजधानी में जोर-शोर से तैयारियां की गई थी. नगर निगम ने इस बार अव्वल स्थान पाने के लिए तीन माह पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी. इसमें स्कूलों से लेकर बच्चों को जागरुक किया गया. वहां वार्ड स्तर पर लोगों को सफाई के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए गए. यहां तक आयुक्त ने कर्मचारियों की छुट्टियां तक रद्द कर दी थी. अधिकारियों से लेकर एक-एक कर्मचारी की फील्ड में डयूटियां लगाई गई थी. जिनका काम शहर में केवल सफाई व्यवस्था को देखना और उसकी जांच करना था. इसके साथ ही डॉक्यूमेंटेशन भी समय से जमा करवा दी गई थी. नगर निगम ने शिमला को सेवन स्टार रैकिंग क्लैम किया था.
शिमला स्वच्छता रैंकिंग में टॉप-100 से बाहर आयुक्त पंकज राय ने कहा किनगर निगम को सेग्रिगेशन के एक हजार अंक नहीं मिल पाए इस कारण नगर निगम को 128वां अंक मिला है. 4 जनवरी से स्वचछता सर्वेक्षण शुरू हुआजबकि 6 जनवरी से शहर में बर्फबारी का दौर शुरू हो गया था. इस कारण नगर निगम इस योजना को सही ढंग से शुरू नहीं कर पाया. लेकिन, नगर निगम पिछली बार की रैकिंग से इस बार बेहतर प्रदर्शन किया है.आगेसे इसमें और भी सुधार किया जाएगा.