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Shimla Landslide: कृष्णानगर में हुए भारी भूस्खलन के बाद बेघर हुए लोग आखिर कैसे और कहां रह रहे हैं, कैसी मिल रही सुविधाएं, जानें प्रभावितों की जुबानी - National Hindi News

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रहे भूस्खलन से कई परिवार बेघर हो गए. इन बेघर लोगों के लिए प्रशासन ने ठहरने का इंतजाम तो किया है, लेकिन प्रभावित परिवारों को नाममात्र की सुविधाएं मिल रही हैं. यहां चाहे पुरुष हों या महिलाएं या फिर बच्चे सभी एक हॉल में ही रह रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर... (Shimla Landslide).

Shimla Landslide
प्रभावित लोग

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Published : Aug 18, 2023, 7:03 PM IST

प्रभावित लोग और पूर्व पार्षद रजनी सिंह

शिमला: राजधानी के कृष्णा नगर इलाके में आधा दर्जन मकान गिरने के बाद अन्य घरों पर भी खतरा मंडराया हुआ है. इसको देखते हुए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यहां से करीब अन्य मकानों को भी खाली करवा दिया है. इन सभी को अंबेडकर भवन और सामुदायिक केंद्रों में ठहराया गया है. हालांकि सरकार ने अस्थाई तौर पर इन परिवारों को रखा है. यहां कॉमन हाल में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और पुरुष सदस्य एक साथ रह रहे हैं. यही नहीं यहां सुविधाएं भी नाम मात्र की हैं.

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे:यहां एक जगह कई परिवार ठहराए गए हैं. ऐसे में बच्चों को दिक्कतें हो रही हैं जो कि अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे. स्कूल में पढ़ने वाली मन्नत, शाहीन कहती हैं कि यहां उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इस कारण वे स्कूल नहीं जा पा रहे. इन हालातों में किस तरह वे पढाई जारी रखेंगे. उनकी किताबें भी घर में ही चली गई हैं.

काम पर भी नहीं जा पा रहे लोग:यहां ठहर रहे परिवारों के कई सदस्यों में से कुछ ड्राइवर का काम करते हैं तो कुछ रोजी रोटी कमाने का और भी काम करते थे. मगर इन घर न होने से उनकी पूरी व्यवस्था ही बदल गई है जिससे ये लोग बाहर भी नहीं जा पा रहे. इससे इनके सामने कमाई का भी संकट पैदा हो गया है. उनका कहना है कि कपड़े कुछ संस्था दी गई है.

ये वो हॉल है जहां प्रभावित परिवार रह रहे हैं.

कई लोग रिश्तेदारों के यहां ठहर रहे:कृष्णा नगर में जिन लोगों के मकान खाली करवाए गए हैं. वे अपने रिश्तेदारों के यहां रात को जा रहे हैं. हालांकि दिन को वह राहत शिविर में आते हैं लेकिन रात को सोने के लिए अपने करीबियों के यहां जा रहे हैं. मगर वे कब तक अपने रिश्तेदारों के यहां ठहरेंगे.

एक कमरा कहीं मिल जाए बड़ी बात:कृष्णा नगर में जिन लोगों के मकान ढहे हैं और जिन भवनों को खाली करवाया गया है. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिनके दो से तीन कमरे अपने थे. कई परिवारों के पास पूरा का पूरा फ्लोर भवन का था. मगर अब वे एक साथ पचास साठ लोगों के साथ एक ही हाल में रहने को मजबूर हैं. यहां रहने वाली एक बुर्जुर्ग महिला कहती हैं कि यहां भले ही उनको खाने की व्यवस्था हो, लेकिन यहां रहना कष्टदायक है. उनको एक छत मिल जाए, खाने के लिए वे चटनी के साथ भी गुजारा कर कर लेंगे

नहाने की कोई व्यवस्था नहीं:प्रशासन ने अंबेडकर भवन में कई परिवारों को रखा है. इनके लिए यहां पर अस्थाई तौर पर दो शौचालय बनाए गए हैं. जबकि यहां करीब 20 स 22 परिवार रखे गए हैं, हालांकि कई लोग अपने रिश्तेदारों के पास जा रहे हैं, मगर करीब 12 परिवार यहां लगातार ठहर रहे हैं. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि वे नहा भी नहीं पा रहे क्योंकि यहां इसकी व्यवस्था नहीं है. एनजीओ उनको साबुन आदि दे रहे हैं लेकिन वे इसका क्या करेंगे जबकि नाहने की व्यवस्था ही नहीं है.

ये वो टॉयलेट हैं जिनका इस्तेमाल प्रभावित परिवार कर रहे हैं.

प्रभावितों परिवारों को 2012 में बने शेड दिए:कृष्णा नगर की पूर्व पार्षद रजनी सिंह का कहना है कि नगर निगम ने 2012 में कुछ प्रभावित परिवारों के लिए 65 लाख के शेड बनाए थे और उनको रहने के लिए भी दिए थे. इसके बाद इन परिवारों को राजीव गांधी आवास योजना के तहत घर भी दे दिए. इस तरह इन परिवारों के पास शेड भी हैं और योजना के तहत आवास भी मिले हैं.

उन्होंने कहा कि इन लोगों से शेड खाली करवाया जाए और अगर नहीं करते तो राजीव आवास योजना के मकान इनके खाली करवाकर प्रभावित परिवारों को दिए जाएं. वहीं, आवास योजना के तहत दो ब्लॉक खाली हैं. जिनमें से कुछ परिवारों को ये मकान दिए जा सकते हैं. पूर्व पार्षद रजनी सिंह का कहना है कि यहां परिवार मुश्किल में हैं. यहां टॉयलेट की समस्या है और नहाने की भी व्यवस्था नहीं है. अंबेडकर भवन और सामुदायिक केंद्रों में कब तक इन परिवारों को रखा जाएगा.

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