शिमला: गुरुवार 27 अप्रैल को को हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में आग लग गई. सिलेंडर ब्लास्ट होने के कारण 13वीं मंजिल में भीषण आग लग गई. आईजीएमसी में हुई अग्निकांड के बाद मामले की जांच के लिए प्रिंसिपल डॉक्टर सीता ठाकुर की अध्यक्षता में 7 सदस्य कमेटी का गठन कर दिया है. कमेटी शनिवार को एक प्राथमिक रिपोर्ट सरकार को भेजेगी और इसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके अगले सप्ताह राज्य सरकार को भेजी जानी है.
गौर रहे कि डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने मौके का दौरा किया था और जांच के आदेश दिए थे. उसी निर्देश पर आज आईजीएमसी में एक कमेटी का गठन कर दिया गया जो अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी. घटना के बाद कैंटीन मालिक के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया था. बताया जा रहा है कि जिस कैंटीन में आग लगी थी उसका टेंडर भी नहीं हुआ था.
आईजीएमसी में हुई इस अग्निकांड से कई सवाल भी उठ रहे हैं. यदि समय रहते सुरक्षाकर्मी और अग्निशमन विभाग के कर्मचारी आग पर काबू ना पाते तो आईजीएमसी में बड़ा हादसा हो सकता था. न्यू बिल्डिंग में लोगों को बाहर निकालने के लिए भी रास्ता नहीं मिलता, क्योंकि 13 मंजिल भवन में लिफ्ट और सीढ़ियों से ही रास्ता है. अग्निकांड के कारण लिफ्ट पहले ही खराब हो गई थी. ऐसे में यदि आग पर काबू नहीं पाया जाता तो मरीज तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता था.
न्यू ओपीडी में आग लगने के दूसरे दिन भी मरीज परेशान: आईजीएमसी के न्यू ओपीडी भवन के कैंटीन में लगी आग के दूसरे दिन भी मरीजों तिमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा. ओपीडी भवन में आग लगने के बाद मुझसे दिन में ऊपरी भाग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. नई ओपीडी भवन में लगने वाली ओपीडी को पुराने भवन में तो शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन भवन में अन्य इलाज भी होता था जिसमें रेडियोलॉजी के तहत ऑपरेशन होते थे. नई तकनीक से अल्ट्रासाउंड होता था, यह सब बंद रहा जिससे मरीजों को घर वापस जाना पड़ा.
रेडियोलॉजी के तहत होने वाले ऑपरेशन टले: आईजीएमसी के न्यू ओपीडी भवन में रेडियोलॉजी विभाग की मशीनें लगी है जिसमे डेक्सा, अल्ट्रासाउंड जिसके तहत मरीजों का इलाज किया जाता है. इन्हीं मशीनों के तहत प्रतिदिन 8 से 10 ऑपरेशन होते हैं. इस विभाग में प्रतिदिन 15 के लगभग मरीजों का इलाज होता है, लेकिन शुक्रवार को जब दूर दराज से मरीज इलाज के लिए आये तो वहां उन्हें ओपीडी भवन बंद मिला. उन्हें साफ कह दिया गया कि अब सोमवार के बाद ही इलाज होगा. रामपुर से आये मनीष ने बताया कि वह रामपुर से आये हैं, उनका ऑपरेशन होना था. जब वह आईजीएमसी में रेडियोलॉजी विभाग में गए तो उन्हें सोमवार के बाद आने के लिए कहा गया. वहीं, रोहड़ू से आए रमेश को भी बिना इलाज कराए वापस लौटन पड़ा.