शिमलाः समाज के हर वर्ग के लिए बजट भाषण का अलग-अलग महत्व होता है. अमूमन बजट आंकड़ों का जाल कहा जाता है. आंकड़ों को खुश्क माना जाता है और आंकड़ों में उलझे बजट को तरल बनाने के लिए नेता कविता तथा शायरी का सहारा लेते हैं. हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और अब जयराम ठाकुर, ये सभी नेता बजट भाषण में कविता की पंक्तियों और शायरी का जमकर इस्तेमाल करते आए हैं. जाहिर है, भाजपा के शीर्ष नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कवि संस्कार की छाया पार्टी के नेताओं पर पड़ी है.
जयराम ठाकुर भी इसी राह पर
प्रेम कुमार धूमल भी अपने बजट भाषण में शायरी करते थे. वीरभद्र सिंह भी और जयराम ठाकुर भी इसी राह पर हैं. धूमल के समय में भी भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं के अंश होते थे और जयराम ठाकुर के बजट में भी यही परंपरा देखने को मिल रही है. जयराम ठाकुर ने अपने पहले बजट भाषण में 2018 में अटल जी की कविताओं के अंश सुनाए थे.
सीएम जयराम ठाकुर के दूसरे बजट में भी 15 शेर शामिल थे. अटल जी की कविताओं के अंश भी मौजूद थे. उस बजट में जयराम ठाकुर ने 15 नई घोषणाएं की थीं. पहले बजट में उन्होंने 22 शेर सुनाए थे. यदि दूसरे बजट की शेरो-शायरी पर गौर करें तो जयराम ठाकुर ने उस समय निम्न शेर व कविता अंश सदन में सुनाए थे.
यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल
एक जुनून-सा दिल में जगाना पड़ता है
पूछा चिड़िया से कैसे बनाया आशियाना-बोली
भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना पड़ता है
सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-
सफर का एक सिलसिला बनाना है
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है
जनमंच कार्यक्रम की सफलता और साधारण जनता को मिल रहे लाभ पर बात करते हुए सीएम जयराम ने एक शेर इस तरह पढ़ा-
गरीबी से उठा हूं, गरीबी जानता हूं
आसमां से ज्यादा, जमीं की कदर जानता हूं
विधायक क्षेत्र विकास निधि को बढ़ाने की घोषणा के समय सीएम ने शेर पढ़ा-
छू न सकूं आसमां तो न सही
आपके दिलों को छू जाऊं, बस इतनी सी तमन्ना है
उज्ज्वला योजना व गृहिणी सुविधा योजना के बजट प्रावधान की बात करने के दौरान सीएम ने शेर पढ़ा-
चिरागों के अपने घर नहीं होते
जहां जलते हैं, वहीं रोशनी बिखेर देते हैं
किसानों के लिए बजट घोषणाओं के दौरान मुख्यमंत्री ने निम्न शेर पढ़ा
सारे इत्र की खुशबू आज मंद पड़ गईं
मिट्टी पर पानी की बूंदें जो चंद पड़ गईं
आवास निर्माण योजनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-
मंजिल मिलेगी देर से ही सही
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकला ही नहीं
औद्योगिक विकास पर बात करते हुए सीएम ने ये शेर पढ़ा-
जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते हैं
वो समंदरों पर भी पत्थरों के पुल बना देते हैं.
प्रदेश के युवाओं को मुख्यमंत्री ने निम्न शेर के जरिए संदेश दिया-
यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों से आगे अंगुलियां
रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.
मुख्यमंत्री रोशनी योजना का ऐलान करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शेर कहा-
चिराग सी तासीर रखिए
सोचिए मत की घर किसका रोशन हुआ.
एक अन्य शेर के जरिए सीएम ने कहा-
कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के खुलते हैं
जो उन्हें खटखटाने की ताकत रखते हैं.