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अब सीनियर डॉक्टर भी कोरोना आइसोलेट मरीजों की घर पर करेंगे जांच, स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ाई टेस्टिंग

स्वास्थ्य विभाग के ज्यादातर स्टाफ को अब फील्ड में सेवाएं देनी होंगी. स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे फील्ड में सेवाएं देने वाले डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ का ड्यूटी रोस्टर तैयार कर सरकार को भेजें.

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Published : Apr 18, 2021, 10:52 AM IST

शिमला: स्वास्थ्य विभाग के ज्यादातर स्टाफ को अब फील्ड में सेवाएं देनी होंगी. ओपीडी और मरीजों के ऑपरेशन करने के लिए भी कुछ डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ अस्पतालों व कार्यालय में रहेगा. लेकिन कोशिश की जा रही कि यह कम से कम स्टाफ अस्पतालों में रहे. एमबीबीएस डॉक्टरों के साथ सीनियर डॉक्टर भी फील्ड में जाकर कोरोना आइसोलेट मरीजों की घर पर जांच करेंगे.

स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को दिए निर्देश

प्रदेश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. 7 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज घरों में आइसोलेट हैं. स्वास्थ्य विभाग ने भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे फील्ड में सेवाएं देने वाले डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ का ड्यूटी रोस्टर तैयार कर सरकार को भेजें. साथ ही आदेश जारी किए गए हैं कि विशेष परिस्थितियों में ही स्वास्थ्य कर्मियों को छुट्टी दी जाएगी.

कियोस्क मशीनों से सैंपलिग फिर शुरू

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए विभाग ने कियोस्क से फिर कोरोना के टेस्ट शुरू करने का फैसला लिया है. अब फिर से शिमला के उपनगरों में टेस्टिंग के लिए कियोस्क मशीनें लगाई जाएंगी. यहां आसपास के लोग कोरोना टेस्ट करवा सकते हैं. दिसंबर महीने में कोरोना का संक्रमण कम होने से कियोस्क मशीनों से सैंपलिग करने की प्रक्रिया बंद कर दी थी. अब दोबारा संक्रमण बढ़ने से उपनगरों में कियोस्क मशीनें लगाई जाएंगी ताकि अस्पतालों में सैंपलिग का बोझ कम हो सके. कियोस्क में सैंपलिग के लिए रिपन अस्पताल का स्टाफ तैनात किया जाएगा. इस अस्पताल के कोरोना समर्पित बनने के बाद यहां का स्टाफ सैंपलिग में जुटेगा.

स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ाई टेस्टिंग

वर्तमान में रिपन और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आइजीएमसी) में कोरोना के टेस्ट होते हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर ऐसे लोगों में संक्रमण ज्यादा प्रभावी है जो बीपी, शुगर, अस्थमा, कैंसर, किडनी सहित अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. संक्रमित होने के बाद ऐसे लोगों की हालत गंभीर हो जाती है और उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है. जिले में अधिकतर मौतें ऐसे लोगों की हुई हैं, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. इसका मुख्य कारण लोगों का समय पर टेस्ट न होना और इलाज न मिलना है. शिमला जिला में बढ़ रहे मौत के आंकड़े को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जिले में टेस्टिंग बढ़ा दी है.

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