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स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर संगोष्ठी आयोजित, कवियों ने अपनी कविताओं से पुलवामा शहीदों को किया याद

राजधानी के टाउन हॉल में भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी की ओर से स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में स्वामी दयानंद के उपदेशों भारतीय पुर्नजागरण आंदोलन, समाज सुधार, वेद भाषा प्रणाली और संस्कृत के प्रचार प्रसार में अभूतपूर्व योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई.

kavi sammelan

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Published : Mar 2, 2019, 4:24 AM IST

शिमला: राजधानी के टाउन हॉल में भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी की ओर से स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में स्वामी दयानंद के उपदेशों भारतीय पुर्नजागरण आंदोलन, समाज सुधार, वेद भाषा प्रणाली और संस्कृत के प्रचार प्रसार में अभूतपूर्व योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई. अकादमी के सचिव डॉ. कर्म सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद की मान्यताओं ने समूचे विश्व को आकृष्ट कर के एक नई दिशा प्रदान की हैं. यही वजह है कि इनके आदर्शों को आज भी आम जन तक पहुंचाने का प्रयास अकादमी कर रही है. संगोष्ठी में स्वामी दयानंद की मान्यताओं की प्रासंगिकता पर शोध पत्र भी डॉ. कुंवर दिनेश ने प्रस्तुत किया.

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इसके साथ ही डॉ. शंकर वशिष्ठ ने हिमाचल प्रदेश में आर्य समाज विषय पर अपना वक्तव्य पेश किया. वहीं, हृदयेश आर्य ने स्वामी दयानंद प्रतिपाठित वैदिक लोकतंत्र विषय सहित अन्य साहित्यकारों ने भी दयानंद से जुड़े विषयों पर अपना व्यक्तव्य दिया. इसके अलावा इस अवसर पर अकादमी ने पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों की याद में कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया. कवि सम्मेलन में युवा कवियों ने शहीद सैनिकों की याद में कविताएं सुनाई ओर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

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