शिमला: पूरा विश्व कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कर रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को समय पर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) उपलब्ध करवाना मुख्य चुनौती है. प्रदेश के स्वंय सहायता समूहों ने इस समस्या से निजात दिलाने की पहल की है.
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में 50 से अधिक स्वयं सहायता समूह प्रतिदिन लगभग 15 हजार मास्क तैयार कर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस काम में विभिन्न स्वंय सहायता समूहों के माध्यम से 2000 महिलाएं जुटी हुई हैं. इन स्वंय सहायता समूहों की ओर से तैयार लगभग 1 लाख मास्क विभिन्न विभागों और संगठनों को प्रदान किए गए हैं.
स्वंय सहायता समूह बना रहे PPE किट, अब तक 1 लाख मास्क किए गए वितरित
प्रदेश में 50 से अधिक स्वयं सहायता समूह के माध्यम से 2000 महिलाएं प्रतिदिन 15 हजार मास्क तैयार कर रही हैं. इसके तहत विभिन्न विभागों और संगठनों को 1 लाख मास्क तैयार करके दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि 3000 महिला किसानों को न्यूनतम भूमि का उपयोग करके किचन गार्डन विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है,जिससे सब्जियों का उत्पादन किया जा सके. उन्होंने कहा कि 11 युवा पेशेवरों को इन महिला किसानों का मार्गदर्शन करने और उनकी उपज का विपणन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे उन्हें सब्जियों के उचित मूल्य मिल सके.
स्वंय सहायता समूह ने तैयार किया सेनिटाइजर:
मंत्री ने कहा कि सिरमौर जिले में एक स्वंय सहायता समूह ने एक सेनिटाइजर तैयार किया है, जिसकी कीमत सौ रुपये प्रति 200 मिलीलीटर है. उन्होंने कहा कि स्वंय सहायता समूहों को और अधिक मास्क तैयार करने के लिए प्रशिक्षित करने पर बल दिया जा रहा है.
क्या कहना है आजीविका मिशन के निदेशक का
वहीं, ग्रामीण विकास और आजीविका मिशन के राज्य प्रमुख निदेशक ललित जैन ने कहा कि ऐसे स्वंय सहायता समूहों की ओर से तैयार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट की कीमत कुल 700 रुपये है. उन्होंने कहा कि तीन और स्वंय सहायता समूहों को प्रशिक्षित किया गया है, जिससे प्रतिदिन 100 किट तैयार किए जा सकें.