शिमला: प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एसडीआरएफ का गठन होगा. शनिवार को कैबिनेट मीटिंग में इस फोर्स के गठन को मंजूरी दी गई. इस फोर्स के गठन से बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन और भूकंप आने की स्थिति में बचाव कार्य जल्दी शुरू हो सकेगा. नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ के मोर्चा संभालने से पहले ही एसडीआरएफ बचाव कार्य शुरू कर देगी.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में एसडीआरएफ के गठन का फैसला हुआ. हिमाचल प्रदेश में एसडीआरएफ की तीन कंपनियां होंगी. फैसले के मुताबिक एसडीआरएफ में 365 जवानों की भर्ती होगी.सोलन जिला के अर्की, मंडी और ऊना जिला के मुबारकपुर में एसडीआरएफ की कंपनियों की तैनाती होगी. मीटिंग में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि एसडीआरएफ प्राकृतिक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की जान बचाने, राहत कार्य चलाने व क्षति को न्यूनतम करने में सहायक साबित होगी.
एसडीआरएफ के जवानों को अल्पावधि में प्राकृतिक आपदा ग्रस्त क्षेत्र में तैनात किया जा सकेगा साथ ही मणिमहेश, किन्नर कैलाश व श्रीखंड यात्रा के दौरान भी बचाव कार्यों फोर्स की सेवाएं ली जा सकेंगी. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्राकृतिक आपदाओं के मामले में बेहद संवेदनशील है. यहां बरसात के दौरान भूस्खलन से जानव माल का काफी नुकसान होता है. इस वित्त वर्ष में बरसात के कारण 1200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था.
यही नहीं बादल फटने व भारी बर्फबारी से भी काफी नुकसान झेलना पड़ता है. लाहौल घाटी में बर्फबारी की वजह से सैकड़ों पर्यटकों की जान सांसत में फंस गई थी. बरसात में सोलन जिला के कुमारहट्टी में भवन के जमींदोज होने से असम राइफल के कई जवान काल के मुंह में समा गए थे.
प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त भी एसडीआरएफ के गठन का फैसला हुआ था. तत्कालीन सरकार ने एसडीआरएफ की तीन कंपनियों में 300 जवानों को भर्ती करने का फैसला लिया था साथ ही पुलिस विभाग को एसडीआरएफ के गठन के लिए धन जारी करने की बात भी कही गई थी, लेकिन अब जयराम सरकार ने इस कवायद को सिरे चढ़ाया है.