शिमला: प्रदेश में युवतियों और महिलाओं की सुरक्षा और उन पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर सरकार कितनी गंभीर है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस कार्य के लिए प्रदेश सरकार की ओर से गठित सक्षम गुड़िया बोर्ड डेढ़ साल बीतने के बाद भी अपना काम शुरू नहीं कर पाया हैं.
शिमला कोटखाई गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले को लेकर विधानसभा चुनावों में काफी हो हल्ला हुआ. बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद गुड़िया के नाम पर हेल्पलाइन और सक्षम गुड़िया बोर्ड का गठन किया. बोर्ड का गठन तो सरकार की ओर से प्रदेश की महिलाओं को इतना सक्षम बनाने के लिए किया गया था कि वह अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा सके, लेकिन सरकार अभी तक इस बोर्ड को ही इतना सक्षम नहीं कर पाई है कि यह महिलाओं के लिए मददगार साबित हो सके.
बता दें कि सक्षम गुड़िया बोर्ड का गठन किए डेढ़ साल से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक केवल उपाध्यक्ष ही इस बोर्ड में अकेले काम कर रही है. अभी तक ना तो बोर्ड के नियम बने है और ना ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का गठन हो पाया है. गुड़िया हेल्पलाइन और सक्षम बोर्ड को लेकर ईटीवी से बातचीत में बोर्ड की उपाध्यक्ष रूपा शर्मा ने कहा कि बोर्ड का गठन तो हुआ है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.
रूपा शर्मा ने कहा कि अभी तक ना तो बोर्ड के नियम, कानून तय हो पाए हैं और ना ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का गठन हो पाया है. हालांकि उन्होंने इस बात को माना की जो गुड़िया हेल्पलाइन सरकार की ओर से शुरू की गई है वह कारगर साबित हो रही है और बीते दो सालों में गुड़िया हेल्पलाइन से महिलाओं के खिलाफ हिंसा, दुर्व्यवहार, छेड़खानी के 3376 शिकायतें दर्ज की गई है. जिसमें से 3326 का निपटारा किया गया है और 50 मामले विचाराधीन हैं.