शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य में जैविक संसाधनों के प्रयोग को लेकर वन विभाग नियमों में संशोधन करेगा. पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त सचिव की तरफ से अदालत में इस संदर्भ में वक्तव्य दिया गया है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में 27 अप्रैल को विस्तृत आदेश जारी किए थे. उसके बाद राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों के अफसरों के साथ बैठक की थी. अब मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जैव-विविधता अधिनियम 2002 के कार्यान्वयन के लिए सरकार गंभीर है.
दो कंपनियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी: जैविक संसाधनों के इस्तेमाल के लिए दो कंपनियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया. इनमें पोंटिका एरोटेक लिमिटेड और आयुर्वेट लिमिटेड कंपनी से जनवरी और फरवरी माह में कुल खरीदे गए जैव संसाधनों की जानकारी मांगी गई थी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इसके बाद मामले की सुनवाई दो हफ्ते के पश्चात निर्धारित कर दी.
पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस ने याचिका दायर की:उल्लेखनीय है कि पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस ने जैविक विविधता अधिनियम 2002 के कार्यान्वयन के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में पूरी तरह से विफल रही है. यह अधिनियम राज्य को स्वयं के जैविक संसाधनों का उपयोग करने के लिये उनके संप्रभु अधिकारों को लेकर मान्यता प्रदान करता है.अधिनियम ने जैव संसाधनों तक पहुंच और उन्हें विनियमित करने के लिए त्रिस्तरीय यानी थ्री टियर संरचना का प्रावधान किया गया है. इसमें राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, राज्य जैव विविधता बोर्ड और स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है.