शिमला: नगर निगम शिमला की मासिक बैठक में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ. कृष्णा नगर के पार्षद बिट्टू पाना ने मामला उठाया कि उनके वार्ड में इतना नुकसान हुआ, इसके बावजूद मेयर की ओर से कोई भी मदद नहीं मिली. उन्होंने आरोप लगाया कि मेयर ने उनके वार्ड का दौरा भी नहीं किया. इस पर मेयर सुरेंद्र चौहान ने उन्हें समझाया कि ऐसा नहीं हैं, शहर ही नहीं पूरे हिमाचल में एक आपदा आई है. इस आपदा के दौरान सभी को बेहतर राहत मिल सके, इसके लिए काम किया है, लेकिन बातों बात में कुछ ही समय बाद दोनों के बीच में तीखी नौकझोंक हो गई.
पार्षद ने आरोप लगाया कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही. मेयर ने कहा कि आपकी बात सुनी जाएगी. बैठक में बेहतर माहौल बनाए रखे. इसका माहौल खराब न करें. सभी को बात रखने का मौका दिया जाएगा. वही भाजपा पार्षद बिटु पाना ने शहर में कृष्णा नगर निगम में स्लाटर हाउस के गिरने में अनियमितता बरतने के आरोप लगाये और कहा स्लाटर हाउस का निर्माण नियमों के तहत नहीं हुआ है. जिससे वहां अन्य भवनों को भी नुकसान हुआ है. इसकी जांच की गई है और जब कृष्णा नगर में आई आपदा को लेकर चर्चा का समय मांगा गया तो, उन्हें बोलने तक नहीं दिया गया.
वही, भाजपा की वरिष्ठ पार्षद सरोज ठाकुर ने कहा शहर में काम से लेकर अन्य कार्यों में भेदभाव हो रहा है. यह गलत है, इसके बाद नगर निगम में प्रश्न काल शुरू हो गया. इसमें सामुदायिक भवनों को नगर निगम के पास दोबारा वापस ठेकेदारों से वापस लेकर देने की बात उठाई गई. पार्षद ने कहा ठेकेदारों से ये सामुयादिक भवन वापस लेनी होगी. इसका खामियाजा आम जनता और स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
समरहिल के पार्षद वीरेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया की समरहिल में जब आपदा आई तो लोगों को ठहरने के लिए जगह नहीं थी. यदि सामुदायिक भवन निगम के खुद का पास होता तो यह दिक्कत ना आती. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि सभी सामुदायिक भवन को निगम वापस ले और खुद चलाए. इस पर निगम के आयुक्त ने कहा कि निगम का एक ही सामुदायिक भवन समरहिल में ठेकेदार को दे रखा है, वह काम करने के लिए तैयार नहीं हैं. ठेकेदार ने खुद पत्र देकर इसे निगम को सौंप दिया है. अन्य सभी सामुदायिक भवन ठीक चल रहे हैं.