शिमला: हिमाचल में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की, एक कमरा ऐसा है, जिसका खौफ साया बनकर सचिवालय में फिरता रहता है. ये खौफ कमरा नंबर 202 के रूप में है. माना जाता है कि जो भी इस कमरे में कार्यालय सजा कर बैठा, वो अगला चुनाव हार गया. पूर्व सरकार में जब कृषि मंत्री बनाए गए डॉ. रामलाल मारकंडा को ये कमरा अलॉट किया गया तो उन्होंने कहा था कि वे ऐसे किसी अंधविश्वास को नहीं मानते.
डॉ. मारकंडा ने कहा था कि प्रगतिशील सोच को अपनाना चाहिए और वे जमकर इस कमरे में बैठकर अपना काम करेंगे. अब इसे नियति कहें या फिर इस कमरे में छाया मनहूसियत का साया कि डॉ. रामलाल मारकंडा भी ये चुनाव हार गए. अब सुखविंदर सिंह सरकार सत्तासीन है और रविवार को सात कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ले ली है. सभी सातों मंत्रियों की कैबिनेट वाली शपथ के बाद कमरे अलॉट कर दिए गए हैं, लेकिन कोई भी मंत्री कमरा नंबर 202 लेना नहीं चाह रहा. इसका कारण कमरा नंबर 202 के साथ चिपके अंधविश्वास का भूत है. (room number 202 in himachal pradesh secretariat)
सियासी लोगों में से टोटके और अंधविश्वास कोई मानता है और कोई बिल्कुल नहीं मानता. डॉ. मारकंडा ने तो ऐसे अंधविश्वास से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखा था, लेकिन नियति ने उन्हें हार का मुंह दिखला दिया. इससे पहले कमरा नंबर 202 में जेपी नड्डा का कार्यालय था. वे अगला चुनाव हार गए. फिर आशा कुमारी, नरेंद्र बरागटा और सुधीर शर्मा इस कमरे में कार्यालय सजा कर बैठे, लेकिन ये सभी अपना अगला चुनाव हार गए.
सुधीर शर्मा बेशक इस बार चुनाव जीत गए, लेकिन उनके खाते में मंत्री पद नहीं आया. आशा कुमारी भी चुनाव हार गई. यदि आशा कुमारी चुनाव जीतकर आती तो उनका कैबिनेट रैंक पक्का था. जेपी नड्डा राज्य की राजनीति से अब राष्ट्रीय राजनीति में हैं. नरेंद्र बरागटा का देहांत हो गया है. उनके बाद कमरे में बैठे डॉ. रामलाल मारकंडा भी ये चुनाव हार गए हैं. (Curse of room number 202 in HP Secretariat) (Story of Room 202 of HP Secretariat)
वर्ष 1998 में कमरा नंबर 202 जगत प्रकाश नड्डा के पास था. वे धूमल सरकार में हेल्थ मिनिस्टर थे. वे 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तिलकराज शर्मा से हार गए. फिर साल 2003 में वीरभद्र सिंह सरकार के दौरान ये कमरा आशा कुमारी को अलॉट हुआ. उन्हें एक केस में फंसने के बाद मंत्री पद गंवाना पड़ा और अगला चुनाव भी वे हार गईं. (room number 202 in HP secretariat)
वर्ष 2007 में यह कमरा बागवानी मंत्री के तौर पर नरेंद्र बरागटा को मिला. उन्हें बाद में स्वास्थ्य विभाग का कार्यभार भी मिला, लेकिन वे 2012 का चुनाव रोहित ठाकुर से हार गए. सुधीर शर्मा साल 2012 में शहरी विकास मंत्री के तौर पर इस कमरे में आए. हाल ये हुआ कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा को भी हार का सामना करना पड़ा. अब रामलाल मारकंडा पर इस कमरे के अपशगुन की मार पड़ी. देखना है कि सुखविंदर सिंह सरकार में आने वाले समय में ये कमरा किसी मंत्री को दिया जाता है या नहीं.
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