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अगले हफ्ते पूरा होगा रिज टैंक का कार्य, बेल्जियम से लाए गए केमिकल से हो रही दीवारों पर फाइनल कोटिंग

शिमला के रिज टैंक की दीवारों को बेल्जियम से लाए गए केमिकल से कोट कर तैयार किया जा रहा है. टैंक के 9 चेम्बरों में से 5 चेम्बर में ही कोटिंग की जा रही है. वहीं, अगले हफ्ते तक टैंक का मरम्मत कार्य पूरा हो जाएगा और इसमें दोबारा से पानी का भंडारण शुरू किया जाएगा.

Ridge tank work to be completed next week in shimla
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Published : Jan 2, 2021, 7:11 PM IST

शिमला:राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे बने रिज टैंक की दरारों को भरने का काम लगभग पूरा हो चुका है. टैंक का 90 प्रतिशत से ज्यादा काम कर लिया है और अब मरम्मत कार्य को फाइनल आकार दिया जा रहा है.

रिज टैंक की दीवारों को बेल्जियम से लाए गए केमिकल से कोट कर तैयार किया जा रहा है. टैंक के 9 चेम्बरों में से 5 चेम्बर में ही कोटिंग की जा रही है. वहीं, अगले हफ्ते तक टैंक का मरम्मत कार्य पूरा हो जाएगा और इसमें दोबारा से पानी का भंडारण शुरू किया जाएगा.

वीडियो.

रिज टैंक की दरारों को भरने का काम पूरा कर लिया गया है

जल निगम के एसडीओ महबूब शेख ने कहा कि रिज टैंक की दरारों को भरने का काम पूरा कर लिया गया है और चेम्बर में बेल्जियम से लाए गए केमिकल से कोटिंग की जा रही है और अगले हफ्ते यह टैंक तैयार हो जाएगा और इसमें जल भंडारण किया जाएगा.

बता दें कि शिमला जल प्रबंधन निगम ने टैंक की दरारों को भरने का काम विदेशी कंपनी को सौंपा है. कंपनी ने करीब चार महीने पहले इस काम को शुरू किया था. कंपनी को तीन ही महीने का समय दिया गया था, लेकिन बीच में कंपनी के कुछ कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए. इस कारण एक माह तक काम को बंद रखा गया था.

विदेशी तकनीक से भरी गई दरारें

2019 में नगर निगम ने टैंक की सफाई के दौरान इसकी दीवारों पर दरारें देखी थीं. रिज पर बने नौ में से चार चेम्बर की दीवारों पर दरारें थी. इन्हें सीमेंट से सीधे नहीं भरा जा सकता था. इसके लिए पॉली यूरिया लेयर तकनीक से दरारों को भरने की जरूरत थी, जिसके बाद बाहर की कंपनी को टैंक की दरारों को भरने का काम सौंपा गया था और विदेशी तकनीक को अपनाकर टैंक की दरारों को भरा गया है.

अंग्रेजों के समय में बने टैंक के नौ में से पांच चेम्बर में दरारें हैं. इन दरारों को भरने के लिए शिमला जल प्रबंधन ने सबसे पहले एसजेपीएनएल से सर्वे करवाया था. इस रिपोर्ट के देखने के बाद पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज के विशेषज्ञ से भी रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर दरारों को भरने का काम करवाया जा रहा है.

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