शिमला: अडानी समूह को ब्याज सहित 280 करोड़ रुपए लौटाने के मामले में हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई 11 जुलाई को तय की है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने राज्य सरकार के आग्रह पर मामले की सुनवाई स्थगित की है. मंगलवार को राज्य सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के समक्ष आग्रह किया था कि सुनवाई को स्थगित किया जाए. इस पर हाईकोर्ट ने अब अंतिम सुनवाई के लिए 11 जुलाई तारीख तय की है.
अडानी समूह से जुड़ा मामला राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. राज्य सरकार किसी न किसी तरह 280 करोड़ रुपए बचाने की जुगत में थी, लेकिन कोई प्रयास सिरे नहीं चढ़े. डबल बैंच में सुनवाई से पूर्व हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी पॉवर प्रोजेक्ट के लिए अडानी समूह की तरफ से जमा करवाई गई 280 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी को ब्याज सहित लौटाने के आदेश जारी किए थे. एकल पीठ ने जब राज्य सरकार को आदेश जारी किए तो सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट में अपील में जाने में देरी कर दी.
ऐसे में राज्य सरकार को हाईकोर्ट में अपील दाखिल करने में हुई देरी पर माफी मांगने से जुड़ी अर्जी भी प्रस्तुत करनी पड़ी थी. उसी दौरान राज्य सरकार ने ब्याज सहित तय रकम वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी, लेकिन अदालत ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 12 अप्रैल 2022 को सरकार को आदेश दिए थे कि वह 4 सितंबर 2015 को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की कैबिनेट मीटिंग में लिए गए फैसले के मुताबिक दो महीने की अवधि में अडानी समूह को अपफ्रंट मनी वापस करे.
एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर पारित किए थे. एकल पीठ ने तब ये भी कहा था कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो, उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित यह रकम अदा करनी होगी. इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी. कंपनी की याचिका को स्वीकारते हुए 7 दिसम्बर 2017 को जारी आदेश को रद्द करते हुए एकलपीठ ने कहा था कि जब पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान कैबिनेट ने 4 सितंबर 2015 को प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो, फिर उस फैसले की समीक्षा करने की बात क्यों सोची गई?
क्या है 280 करोड़ से जुड़ा मामला:उर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश में अक्टूबर 2005 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने 980 मेगावाट की हाइड्रोपावर परियोजना जंगी-थोपन-पोवारी को लेकर टेंडर जारी किए थे. आरंभ में हालैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. बोली के बाद ब्रेकल कंपनी ने अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी थी. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया.
इसके बाद विदेशी कंपनी ब्रेकल ने 24 अगस्त 2013 को राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से अनुरोध किया था कि अडानी समूह के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम राशि को सरकार अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस करे. फिर मामला राज्य सरकार व अडानी समूह के बीच हो गया. वर्ष 2017 में वीरभद्र सिंह सरकार के बाद जयराम ठाकुर के नेतृत्व में राज्य में भाजपा की सरकार सत्ता में आई. जयराम ठाकुर सरकार का कार्यकाल भी पूरा हो गया और अब सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार सत्ता में है. फिलहाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह पर सुनवाई स्थगित की है. अब अंतिम सुनवाई 11 जुलाई को रखी गई है.
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