शिमला: राजधानी शिमला में शुक्रवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में प्रदेश राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की एक बैठक हुई. इस बैठक में आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर चर्चा की गई, बैठक में आपदा की स्थिति में जान-माल के जोखिम को कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी चर्चा की गई. मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 20वीं एसईसी बैठक की अध्यक्षता की. समिति ने प्रदेश के चयनित नाजुक भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थानों की भूकंप रेट्रोफिटिंग तथा इसके लिए कुछ जिलों में पायलट आधार पर परियोजना शुरू करने पर भी चर्चा की.
केंद्र सरकार को 6746 करोड़ के नुकसान के प्रस्ताव भेजे:मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता लेने के दृष्टिगत 10 अगस्त तक 6746.93 रुपये की क्षति के संबंध में एक ज्ञापन गृह मंत्रालय को भेजा गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन करने में राज्य की सहायता का भी आग्रह किया है ताकि पुनर्निर्माण और पुनर्वास गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी जा सके. उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य की संवेदनाशीलता का सघन आकलन किया जाना चाहिए और बाढ़ सुरक्षा, भूस्खलन, भूकंप और अन्य संवेदनशील स्थितियों के लिए एक स्थायी वैज्ञानिक योजना की तलाश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में पुलिस बल को आगे आकर कार्रवाई करनी होती है, ऐसे में इन बलों को त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है.